भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना
भारत के मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चन्द्रचूड़ ने 11 नवंबर को अपने सेवानिवृत्ति के बाद अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के नाम का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। यह नियुक्ति यदि केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत हो जाती है, तो न्यायमूर्ति खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे और उनका कार्यकाल छह महीने का होगा जो मई 2025 तक चलेगा। यह नियुक्ति न्यायपालिका के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है और यह आने वाले समय में कई अहम फैसलों को प्रभावित करेगी। आइए, न्यायमूर्ति खन्ना के जीवन और कार्य पर एक नज़र डालते हैं:
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन कराया। उन्होंने नई दिल्ली के तीस हजारी कॉम्प्लेक्स में जिला न्यायालयों में वकालत की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे प्रत्यक्ष कराधान, मध्यस्थता, संवैधानिक कानून, कंपनी कानून, भूमि कानून, पर्यावरण कानून और चिकित्सा लापरवाही में दिल्ली उच्च न्यायालय में काम किया।
उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक का सफ़र
उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में एक उल्लेखनीय कार्यकाल बिताया। 2004 में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति खन्ना को 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 18 जनवरी 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
न्यायमूर्ति खन्ना के महत्वपूर्ण निर्णय
न्यायमूर्ति खन्ना के द्वारा दिए गए कई महत्वपूर्ण फैसले देश के कानूनी परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। उनके द्वारा सुनाए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं:
चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम
2024 में, उन्होंने एक खंडपीठ का नेतृत्व किया जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर डाले गए वोटों के 100 प्रतिशत वीवीपैट सत्यापन के लिए एक याचिका खारिज कर दी। अपने फैसले में, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान प्रणाली “वोटों की त्वरित, त्रुटि मुक्त और गड़बड़ी मुक्त गणना” प्रदान करती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बरकरार रखा जाता है।
निर्वाचन बॉन्ड योजना
उसी वर्ष, न्यायमूर्ति खन्ना सहित पाँच-न्यायाधीशों की पीठ ने निर्वाचन बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया।
अनुच्छेद 370
न्यायमूर्ति खन्ना ने उस ऐतिहासिक फैसले में योगदान दिया जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल और भविष्य
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का छह महीने का कार्यकाल उनके न्यायिक अनुभव और विविध क्षेत्रों में विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा समय है जब देश को कई चुनौतियों और कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले देश के भविष्य के लिए मील के पत्थर साबित होंगे। उनके कार्यकाल पर सभी की नज़रें टिकी हुई हैं, यह देखने के लिए कि कैसे वे अपनी भूमिका का निर्वाह करेंगे और देश के लिए किस तरह का भविष्य सुनिश्चित करेंगे। यह उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है लेकिन यह उम्मीद है कि वे इसे बखूबी निभाएंगे और अपने न्यायिक कर्तव्यों को पूर्ण ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ पूरा करेंगे।
मुख्य बातें
- न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे।
- उनका कार्यकाल छह महीने का होगा।
- उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं।
- उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुकदमों में निर्णायक भूमिका निभाई है जिनमें चुनाव प्रक्रिया, निर्वाचन बॉन्ड और अनुच्छेद 370 शामिल हैं।
- उनका कार्यकाल न्यायपालिका और देश के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।