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Political ideologies of Modi and Vajpayee: क्या मोदी युग से बेहतर था अटल युग

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क्या मोदी युग से बेहतर था अटल युग

 Political ideologies of Modi and Vajpayee: 13 दिसम्बर के दिन नई संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई। दो लोग सदन के मुख हाल में कूद गए। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के मैसूरु से सांसद प्रताप सिम्हा के ज़रिए विज़िटर पास हासिल किया था। सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। लेकिन सियासी गलियारों में सदन की सुरक्षा बड़ा मुद्दा बन गई है। विपक्ष के नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं, शीतकालीन सत्र में सदन की सुरक्षा पर सवाल उठाने और हंगामे के चलते 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया।

विपक्ष के नेताओं की मांग थी कि सदन की सुरक्षा में हुई चूक के संदर्भ में गृह मंत्री अमित शाह बयाना दें। लेकिन सभापति महोदय ने जिस प्रकार विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर किया उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सत्ता पक्ष विपक्ष की आवाज को मौन करना चाहता है। हालाकि इन सबके बीच एक बात जो सभी के जहन में भ्रमण कर रही है वह है कि जब 13 दिसंबर, 2001 में सदन की सुरक्षा में चूक हुई तब क्या स्थिति थी।

13 दिसंबर, 2001 का हमला:

13 दिसंबर, 2001 भारतीय इतिहास में एक भयावह दिन है। क्योंकि इस दिन भारतीय संसद पर हमला हुआ, नौ लोगों की जान गई। एनडीए सरकार ने सदन पर हुए हमले की निंदा की। पांच दिन बाद उस समय के तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने संसद पर हुए आत्मघाती हमले पर बयाना दिया, जांच में जो बातें सामने आईं उनपर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया यह हमला पाकिस्तान का भारत विरोधी सबसे बड़ा हमला। है इस मामले में भारत स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन को सम्मन किया गया है। विपक्ष की भूमिका का सम्मान किया गया। सवालों के प्रखरता से जवाब दिए गए और स्थिति को संभालने के लिए हर संभव प्रयास हुआ।

मोदी और वाजपेयी सरकार में हमले के बाद विपक्ष:

13 दिसंबर, 2001:

जब भारतीय इतिहास में 13 दिसंबर, 2001 को संसद भवन पर आत्मघाती हमला हुआ। तो एनडीए की सरकार थी। यानी वाजपेयी सत्ता में थे। लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री थे। अटल बिहारी वाजपेयी अपने सौम्य स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वह विपक्ष की भूमिका का सम्मान करते थे और राजनीति की बारिकियत को समझते हुए विपक्ष के प्रत्येक सवाल का जवाब देने को तैयार रहते थे।

सदन पर हमले के बाद एनडीए सरकार सवालों के घेरे में थी। पांच दिन बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने सदन में हुए हमले पर विस्तृत चर्चा की। विपक्ष के सवालों के जवाब दिए। कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वाजपेयी से कॉल पर बात की। हमले को देश की सुरक्षा से जोड़ा गया और सत्ता-विपक्ष एक साथ एक मत में दिखे।

13 दिसंबर, 2023

संसद पर हमले की 22 वर्ष बाद एक बार पुनः 13 दिसंबर, 2023 को नई संसद भवन की सुरक्षा में चूक। दो लोग सदन के मुख हाल में कूद जाते हैं। सभी को पुलिस हिरासत में ले लेती है। विपक्ष सत्ता पक्ष से सवाल करता है, गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग करता है। लेकिन इसके जवाब में विपक्ष के 146 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया जाता है। सांसदों का निलंबन यह बात पर मुहर लगाता है कि कैसे मोदी युग सत्ता तक सीमित हो गया है और अटल युग मानवता से परिपूर्ण था।

अटल युग और मोदी युग में अंतर:

अटल युग मानवता, भाषा की मर्यादा, सौम्यता, सहजता और एक दूसरे के प्रति हीन भाव मुक्त के लिए जाना जाता था। सत्ता-पक्ष और विपक्ष के बीच मुद्दों पर चर्चा होती थी। देश की सुरक्षा सभी के लिए सर्वोपरि थी। राजनीति में व्यक्तिगत कटाक्ष की जगह नहीं थी। अटल युग सम्मानित युग के लिए जाना जाता था।

अगर हम बात मोदी युग की करें तो यह अटल युग से भिन्न है। क्योंकि सत्तापक्ष और विपक्ष इस युग में एक दूसरे की तरफ पीठ खड़े किये हुए हैं। दोनों एक दूसरे को देखना नहीं चाहते हैं। सभी के मन में हीनता है। सत्ता विपक्ष के सवालों का जवाब देने से भागती है। तो विपक्ष सत्तापक्ष पर व्यक्तिगत कटाक्ष करने लगता है।

मोदी युग में सौम्यता और मानवता से अधिक स्वार्थ का भाव दिखाई देता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष किसी भी कीमत पर कुर्सी नहीं गवाना चाहते। सभी पद की अभिलाषा के चलते राजनीति का चीर हरण करने में लगे हुए हैं।

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