img

राजस्थान उपचुनाव: नतीजों की घड़ी करीब! कौन जीतेगा, कौन हारेगा?

राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होने वाले हैं। यह चुनाव कई दिग्गज नेताओं की साख से जुड़ा हुआ है, जिससे राजनीतिक उथल-पुथल की उम्मीदें बढ़ गई हैं। क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपनी सरकार की ताकत का प्रदर्शन करेंगे या सचिन पायलट और अन्य नेता अपनी पकड़ मजबूत करेंगे? जानिए हर सीट पर क्या है समीकरण…

मतगणना: क्या कहेंगे वोट?

मतगणना की प्रक्रिया सुबह 8 बजे से शुरू होगी, जो कई राउंड में पूरी होगी। विभिन्न सीटों पर राउंड की संख्या अलग-अलग है, सबसे ज़्यादा झुंझुनूं और सालूंबर में 22-22 राउंड है, वहीं दौसा और चौरासी में सबसे कम, 18-18 राउंड। पूरी प्रक्रिया की 360 डिग्री वीडियोग्राफी की जा रही है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। मतगणना के दौरान हर वोट की कड़ी निगरानी रहेगी, हर आँकड़ा गिनती में साफ़ और पारदर्शी होगा। यह उपचुनाव कई राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती है।

हर सीट का अपना महत्व

हर विधानसभा सीट का राजनीतिक महत्व अलग-अलग है, दौसा में किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट जैसे दिग्गजों का मुकाबला, खींवसर में आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की साख, चौरासी और सालूंबर में बीएपी की ताकत का अज़माइश। ऐसे में, हर राउंड की गिनती मन को रोमांच से भर देगी। कौन-कौन सी सीट कितने राउंड में गिनी जाएगी, इसकी पूरी जानकारी नीचे दी गयी है:

  • झुंझुनूं और सालूंबर: 22-22 राउंड
  • रामगढ़: 21 राउंड
  • देउली-उनियारा और खींवसर: 20-20 राउंड
  • दौसा और चौरासी: 18-18 राउंड

दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए ये उपचुनाव बेहद अहम हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद, ये उपचुनाव पार्टी के लिए पुनर्जीवन का अवसर है। बीजेपी के लिए 7 सीटें बचाना और बढ़त हासिल करना, शर्मा की राजनीतिक ताकत का अहम संकेत होगा। सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा जैसे नेताओं के लिए भी ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई से कम नहीं हैं।

मुख्यमंत्री पर क्या होगा असर?

यदि बीजेपी अधिकांश सीटें जीतती है, तो मुख्यमंत्री शर्मा के कद में और इज़ाफ़ा होगा और उनका विश्वास बढ़ेगा। हालाँकि, हार उनके लिए राजनीतिक तौर पर नुकसानदेह हो सकती है। राजनीतिक पंडितों के बीच, ये चुनाव परिणाम आने वाले समय में राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत होंगे।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर

कई सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। दौसा में जगमोहन मीणा बनाम दीनदयाल बैरवा, रामगढ़ में सुखवंत सिंह बनाम आर्यन जुबेर खान जैसी मुकाबले लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। हालांकि, कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला भी देखने को मिल रहा है, जिससे नतीजों की अनिश्चितता बढ़ रही है। इन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका भी निर्णायक साबित हो सकती है।

कांग्रेस के लिए कितनी चुनौती?

कांग्रेस पार्टी को इन उपचुनावों में अपनी सफलता का सबूत देना होगा, खास तौर पर दौसा सीट को कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण सीट माना जा रहा है, क्योंकि यह सचिन पायलट का गढ़ है। बीजेपी का यहाँ मजबूत प्रदर्शन कांग्रेस के लिए झटका साबित होगा।

69 उम्मीदवारों की भागीदारी

सात सीटों पर कुल 69 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ये बताता है की राजस्थान की राजनीति कितनी गतिशील है। हर पार्टी अपने समर्थन के आधार बढ़ाने का हरसंभव कोशिश कर रही है।

निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रभाव

इस उपचुनाव में, कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों की भी मजबूत भूमिका दिखाई दे रही है। ये उम्मीदवार प्रमुख पार्टियों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। ये प्रत्याशी किस ओर झुकाव करते हैं, यह चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा।

Take Away Points

  • राजस्थान उपचुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएँगे।
  • कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
  • मतगणना विभिन्न राउंड में होगी।
  • कई सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है।
  • निर्दलीय प्रत्याशियों का असर नतीजों को प्रभावित कर सकता है।