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आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और मर्डर केस: एक दिल दहला देने वाली कहानी

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई जूनियर डॉक्टर की रेप और हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। यह मामला न सिर्फ़ एक क्रूर अपराध था, बल्कि सिस्टम की भारी लापरवाही और कथित मिलीभगत का भी पर्याय बन गया। इस लेख में हम इस जघन्य अपराध की पूरी कहानी, आरोपियों पर लगे आरोपों और इस घटना में हुई पुलिस की लापरवाही के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मुख्य आरोपी: संजय रॉय और उसका जुर्म

मुख्य आरोपी संजय रॉय कोलकाता पुलिस का एक सिविक वॉलंटियर था, जिस पर जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और हत्या का आरोप लगा था। पुलिस जांच में पाया गया कि संजय रॉय घटनास्थल पर मौजूद था और उसके खिलाफ डीएनए सबूत भी मिले, जिससे उसकी संलिप्तता की पुष्टि हुई। उसे 10 अगस्त को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, और बाद में अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

संजय रॉय गिरफ्तारी और सजा

संजय रॉय की गिरफ्तारी सीसीटीवी फुटेज से प्राप्त सुबूतों के आधार पर हुई थी। इस गिरफ्तारी ने केस में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। इसके बाद की जाँच और सबूतों के आधार पर 20 जनवरी 2025 को कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस जघन्य अपराध के लिए उसे उम्रकैद की सजा सुनना पूरे देश में कानून व्यवस्था में आस्था कायम करने में एक बड़ी सफलता है।

ताला पुलिस स्टेशन के SHO: अभिजीत मंडल और लापरवाही का आरोप

ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल पर क्राइम सीन को नष्ट करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने और अपराधियों को बचाने के गंभीर आरोप लगे। जाँच में सामने आया कि अपराध के बाद पुलिस ने घटनास्थल की सफाई कर दी थी, जिससे अहम फोरेंसिक सबूत नष्ट हो गए। उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार के सेवा नियमों के तहत निलंबित किया गया था, बाद में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, हालाँकि बाद में उन्हें जमानत मिल गयी।

अभिजीत मंडल: जमानत और जाँच में बाधा

अभिजीत मंडल की जमानत को लेकर विवाद हुआ था। एक तरफ सीबीआई का कहना था कि वो पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं और दूसरी तरफ जमानत पर कुछ लोगों को यह लग रहा था कि पुलिस लापरवाही का बचाव करने के लिए एक रणनीति थी।यह मामला ज़िम्मेदारी और न्याय की मांग को रेखांकित करता है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल: संदीप घोष पर आरोप

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष पर सुरक्षा में लापरवाही बरतने, साक्ष्यों को नष्ट करने, अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोप लगे। उन पर घटना के बाद सेमिनार हॉल को जल्दी साफ करवाने का आरोप है। सीबीआई जांच में सुरक्षा कैमरों के काम न करने और क्राइम सीन के खराब होने जैसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिससे अपराधियों को सबूत नष्ट करने का मौका मिला।

संदीप घोष: विवादों से घिरा करियर

संदीप घोष के विवादों से भरे करियर में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कई आरोप शामिल हैं। वह दो बार ट्रांसफर किए जाने के बाद भी अपनी पोस्ट पर बने रहे, जिससे उनकी नियुक्ति और पद पर बने रहने में अनियमितताओं के संकेत मिलते हैं। जाँच के दौरान पूछताछ लंबी चली और बहुत से खुलासे हुए थे। यह सारा माज़रा सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी भी बताता है।

पुलिस की लापरवाही: साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और सुबूतों को छिपाने की कोशिश

सीबीआई ने कोलकाता पुलिस की लापरवाही और आरोपियों को बचाने की कोशिशों पर गंभीर आरोप लगाए। मुख्य आरोपी संजय रॉय की गिरफ्तारी के बाद उसके कपड़े और सामान देर से बरामद किए गए, जबकि ये सबूत मामले को सुलझाने में बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते थे। पुलिस पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप ने जनता में रोष फैला दिया था।

पुलिस और सीबीआई जाँच में फर्क

कोलकाता पुलिस ने शुरुआती जाँच में संजय रॉय को गिरफ्तार कर लगभग केस बंद करने की कोशिश की थी,लेकिन सीबीआई जाँच के बाद कई नये तथ्य सामने आये जिससे पूरा मामला ही गंभीर होता गया। इसमे पुलिस की लापरवाही और अपराधियों को बचाने की साज़िश भी नज़र आई।

Take Away Points

  • आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप और मर्डर केस में संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
  • ताला थाना प्रभारी अभिजीत मंडल और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर लापरवाही और आरोपियों को बचाने के आरोप हैं।
  • कोलकाता पुलिस पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने और सबूतों को नष्ट करने के आरोप हैं।
  • यह मामला सिस्टम की कमजोरियों, भ्रष्टाचार और न्याय प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को उजागर करता है।