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संभल के डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया: एक ऐसे अधिकारी की कहानी जो देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं!

क्या आप जानते हैं एक ऐसे जिलाधिकारी के बारे में जिन्होंने न केवल अपने कर्तव्यों का पालन किया, बल्कि प्राचीन स्मारकों और तीर्थों को पुनर्जीवित करने का भी बीड़ा उठाया? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के संभल जिले के जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र पेंसिया की, जिनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। 46 साल बाद एक मंदिर के कपाट खुलवाने से लेकर 68 तीर्थों और 19 प्राचीन कुओं की खोज तक, इनके कार्यों ने इन्हें देशभर में पहचान दिलाई है। आइए, जानते हैं इनकी पूरी कहानी…

संभल के डीएम: एक अनोखा काम

संभल के डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया का नाम आज देशभर में चर्चा का विषय है। उनके कामों की तारीफ करते हुए लोग उनकी तुलना कई महान शासकों से करने लगे हैं। इसके पीछे का कारण है उनका एक अनोखा अभियान – प्राचीन स्मारकों और तीर्थों को संरक्षित करने और उन्हें फिर से जीवंत करने की कोशिश। 14 दिसंबर, 2023 को खग्गू सराय इलाके में मुस्लिम आबादी के बीच स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट 46 साल बाद खुलवाए गए थे। इस घटना के बाद से संभल के डीएम लगातार चर्चा में बने हुए हैं। उनका यह कदम सराहनीय है क्योंकि यह धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक कदम है।

68 तीर्थ और 19 प्राचीन कुएं की खोज

मंदिर के कपाट खुलवाने के बाद संभल के डीएम ने एक और बड़ी मुहिम शुरू की। यह मुहिम संभल जिले में छुपे हुए 68 तीर्थों और 19 प्राचीन कुओं को खोजने पर केंद्रित है। अब तक लगभग 30 से अधिक तीर्थ मिल भी चुके हैं और यह काम अभी भी जारी है। यह काम धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इससे न केवल इन स्थानों को संरक्षित किया जा सकता है, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है।

संत प्रेमानंद महाराज के आशीर्वाद

हाल ही में, संभल के डीएम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्हें वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दरबार में देखा जा सकता है। संत ने डीएम को कर्तव्य का पाठ पढ़ाया और उन्हें निर्भीक और निष्पक्ष होकर काम करने की सलाह दी। उन्होंने डीएम को गीता के अर्जुन का उदाहरण देते हुए समझाया कि कर्तव्य का पालन करते हुए भी भगवान का स्मरण करना आवश्यक है। इस मुलाक़ात ने डीएम के काम में एक और आयाम जोड़ा है और उनका यह अटूट विश्वास उन्हें और ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रेरणादायक कहानी

संभल के डीएम की ये कहानी सिर्फ एक अधिकारी की कहानी नहीं है; यह एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। डॉ पेंसिया का काम दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण से समाज को बदल सकता है। उनकी कोशिशें हमें प्राचीन विरासत को बचाने और उसे संजोकर रखने की अहमियत याद दिलाती हैं।

संभल का विकास और पर्यटन

संभल के डीएम के कार्यों से न सिर्फ़ जिले का धार्मिक और सांस्कृतिक विकास हो रहा है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है। पुराने तीर्थ और मंदिरों का जीर्णोद्धार स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर भी पैदा कर रहा है। इससे क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी योगदान होगा। यह एक ऐसा काम है जिसका सकारात्मक प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा।

सफलता का राज

डॉ पेंसिया की सफलता का राज़ उनके कर्तव्य के प्रति समर्पण, सामाजिक जिम्मेदारी और अपने काम के प्रति अटूट विश्वास में निहित है। उनका काम हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Take Away Points

  • संभल के डीएम ने 46 साल बाद मंदिर के कपाट खुलवाए।
  • उन्होंने 68 तीर्थों और 19 प्राचीन कुओं की खोज का बीड़ा उठाया।
  • संत प्रेमानंद महाराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने को कहा।
  • इस काम से संभल के विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • डॉ पेंसिया का काम भविष्य के लिए प्रेरणादायक है।