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Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के परिपेक्ष्य में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कई लोग इसका विरोध कर रहें हैं तो कई लोगों का कहना है कि प्रेम का कोई जेंडर नहीं होता। केंद्र सरकार का मत है कि समलैंगिक विवाह के कानून से सामाजिक व प्रशासनिक वातावरण प्रभावित होगा। वहीं कोर्ट का मानना है कि पांच साल में समाज ने काफी  हद तक सेम सेक्स मैरिज को स्वीकार किया है। पुनर्विवाह कानून जब आया तो समाज ने इसे नहीं स्वीकारा लेकिन आज यह कानून समाज में प्रभावी है। 

याचिकाकर्ताओं का कहना है – वह सिर्फ शादी का हक मांग रहें है। इससे उनकी भावनाएं जुडी हुई हैं। समाज में उनके साथ दोहरा व्यवहार होता है। लोग उनको समान्य जीवन नहीं जीने देते। वैसे हम जिस समाज में रहते हैं वहां विवाह की व्यवस्था दो भिन्न लिंग के जोड़े के बीच बनाई गई है। जब दो विपरीत लिंग के जोड़े विवाह करते हैं तो उनको कानूनी तौर पर कई अधिकार मिलते हैं। 

अब समलैंगिक विवाह की मांग अधिकार के बिनाम पर उठाई गई है। सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाले सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सेम सेक्स कपल्स का न केवल बिना भेदभाव के समाज में शामिल होना चाहिए, बल्कि उन्हें अधिकार भी दिए जाने चाहिए ताकि वे अपोजिट सेक्स वाले कपल्स की तरह अपने जीवन का आनंद उठा सकें। 

उन्होंने यह भी कहा- समलैंगिक जोड़े को कई अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है। समाज उनका तिरस्कार करता है वहीं उन लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जाता है। वहीं अभी हम जानेंगे समलैंगिक जोड़ों को विवाह का कानूनी अधिकार न मिलने से किन अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है। 

टैक्स छूट/गिफ्ट टैक्स-

जो सामान्य पति पत्नी होते हैं उनको विवाह के बाद मिली चल-अचल सम्पत्ति में टैक्स छूट मिलती है। लेकिन  समलैंगिक जोड़े इस अधिकार से वंचित रहते हैं। उनको 50 हजार से ज्यादा के गिफ्ट्स पर टैक्स चुकाना पड़ता है। 

पेंशन-

समान्य पति पत्नी को पेंशन का अधिकार मिलता है।  जबकि समलैंगिक जोड़े के पति-पत्नी को भारत में इस अधिकार से भी वंचित रहना पड़ता है। 

साथी की जगह नौकरी मिलना-

सरकारी नौकरी में पति-पत्नी में से किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरा साथ या उनकी संतान नौकरी की मांग कर सकता है. हालांकि, समलैंगिक विवाह में अनुकंपा नौकरी नहीं मांगी जा सकती।

बीमा की राशि पर हक-

समलैंगिक कपल्स को परिवार के रूप में पहचान नहीं मिलती है, इसलिए वो पारिवारिक बीमा पॉलिसी के लाभ से वंचित होते हैं। इसके अलावा कई अन्य अधिकार हैं जिनसे समलैंगिक कपल्स वंचित रहते हैं।