Same Sex Marriage: देश में समलैंगिक विवाह का मामला गरमाया हुआ है। कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस ने बीते दिनों सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया की पिछले 5 सालों के आधार पर यदि हमदेखें तो समाज में समलैंगिक विवाह को स्वीकृति मिली है। वहीं केंद्र सरकार ने इसका विरोध इस तर्क के साथ किया है कि समाज के लिए उचित नहीं है इसका सामजिक पहलुओं और प्रशाशनिक पहलुओं पर प्रभाव पड़ेगा। हालाकि याचिकाकर्ता समलैंगिक विवाह के परिपेक्ष्य में कानून बनाने की मांग उठा रहे हैं।
समलैंगिक विवाह पर कानून के संदर्भ में याचिकाकर्ता ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा- हम सिर्फ शादी के अधिकार की मांग कर रहे हैं। मुझे लगता है कुछ लोग विवाह को महत्व नहीं देते यह उनका विचार है यह ठीक है। लेकिन हमारे लिए विवाह भावनात्मक है। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमको शादी का अधिकार मिले।
उन्होंने आगे कहा, समाज में हमें अलग तरह से देखा जाता है। हम सामान्य जीवन नहीं व्यतीत कर पाते। हम चाहते हैं आप कुछ ऐसे नियम कानून और अधिकार बनाएं जिससे हमें समाज में सभी की तरह शांति से सामान्य जीवन व्यतीत करने का अधिकार मिल सके। लोग एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय को हीन भाव से न देखें।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा- राज्यों को इस मामले में आगे आना चाहिए और समलैंगिक विवाह पर मुहर लगानी चाहिए। समलैंगिक विवाह मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने विधवा पुनर्विवाह कानून का जिक्र किया। समाज द्वारा इसको स्वीकार नहीं किया गया था लेकिन आज समाज में यह प्रचलित है समाज के लोगों ने इसे अपनाया है।