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कैलिफोर्निया में यूएस हाउस के स्पीकर केविन मैक्कार्थी के साथ मुलाकात के दौरान ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने कहा कि ‘लोकतंत्र खतरे में है।’ सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2022 में तत्कालीन हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद, एक साल से भी कम समय में त्साई दूसरी बार किसी शीर्ष अमेरिकी सांसद से मिलीं। वह अमेरिकी धरती पर यूएस हाउस स्पीकर से मिलने वाली ताइवान की पहली राष्ट्रपति भी हैं। त्साई ने मैककार्थी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, यह कोई रहस्य नहीं है कि आज हमने जो शांति बनाए रखी है और जिस लोकतंत्र को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, वह अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है। हम एक बार फिर खुद को ऐसी दुनिया में पाते हैं, जहां लोकतंत्र खतरे में है और स्वतंत्रता की रोशनी को चमकते रहने की जरूरत को कम करके नहीं आंका जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा, जब हम एक साथ होते हैं तो हम मजबूत होते हैं, ताइवान के साथ खड़े होने के लिए हम अमेरिका के आभारी है। अपनी ओर से, हाउस स्पीकर ने कहा, ताइवान और अमेरिका के लोगों के बीच दोस्ती मुक्त दुनिया के लिए गहरा महत्व का विषय है। यह आर्थिक स्वतंत्रता, शांति और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। ताइवान एक सफल लोकतंत्र, संपन्न अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य और विज्ञान में वैश्विक नेता है। संवाद और आदान-प्रदान के माध्यम से हमारे सहयोग का विस्तार जारी है। मैं आशावादी हूं कि हम एशिया में आर्थिक स्वतंत्रता, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका और ताइवान के लोगों के साथ मिलकर काम करने के तरीके ढूंढते रहेंगे। उधर, बीजिंग ने बैठक की निंदा की, विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि चीन इसका विरोध करता है और इसकी कड़ी निंदा करता है।

सीएनएन ने बुधवार रात प्रवक्ता के हवाले से कहा, अमेरिका और ताइवान द्वारा की गई गलत कार्रवाई के जवाब में, चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठाएगा। इसने अमेरिका से ताइवान मुद्दे का फायदा उठाकर चीन को रोकने और गलत और खतरनाक रास्ते पर आगे नहीं बढ़ने का भी आग्रह किया। त्साई की अमेरिका यात्रा मध्य अमेरिका की उनकी यात्रा का हिस्सा थी, जो उन्हें इस सप्ताह ग्वाटेमाला और बेलीज ले गई। ताइवान लौटने से पहले कैलिफोर्निया आखिरी पड़ाव था। वह पहली बार 29 मार्च को न्यूयॉर्क पहुंची थीं। गौरतलब है कि ताइवान खुद aको एक संप्रभु राज्य मानता है, जबकि चीन इसे अपने देश के एक टूटे हुए प्रांत के रूप में देखता है।