प्रयागराज के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड (Raju Pal Murder) के मुख्य गवाह उमेश पाल (Umesh pal Murder) की शुक्रवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। उसने कहा कि धूमनगंज थानाक्षेत्र में उमेश पाल के घर के बाहर अज्ञात हमलावरों ने बम और गोली से उन पर हमला किया। उसके अनुसार इस हमले में उमेश पाल के अलावा उनके दो सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए।
शुक्रवार को ही इस मामले की अंतिम बहस चल रही थी। दिनदहाडे़ हुए इस हमले ने आज से 18 साल पहले की वह घटना याद दिला दी जब बसपा विधायक राजू पाल को घेर कर उनके शरीर को छलनी कर दिया गया था। उसी मामले में बाहुबली नेता अतीक अहमद (Atique Ahmed) पर केस चल रहा था।
25 जनवरी 2005 को राजू पाल अपनी समर्थकों के साथ स्वरूप रानी अस्पताल से वापस आ रहे थे। वह क्वालिस गाड़ी में थे। यह कार वह खुद चला रहे थे। उनके साथ आगे उनके मित्र की पत्नी रुखसाना बैठी थीं जो रास्ते में मिली थीं। पीछे की सीट पर संदीप यादव और देवीलाल बैठे थे। राजू पाल के पीछे स्कॉर्पियो चल रही थी उसमें उनके कुछ और सहयोगी थे।
सुलेम सराय मोहल्ले में अमितदीप मोटर्स के सामने राजू की कार के सामने एक कार अड़ गई। जब तक राजू समझ पाते उसमें से 5 हथियारबंद हमलावर निकले और गोलियों की बौछार कर दी। तीन लोगों ने राजू की कार पर और दो लोगों ने पीछे स्कॉर्पियो पर गोलियां बरसाईं।
दिनदहाडे़ अंधाधुंध फायरिंग से हड़कंप मच गया। हमलावर हमला करके फरार हो गए। राजू पाल का शरीर गोलियों से छलनी हो गया था। उनके शव से 19 गोलियां निकली थीं। कई गोलियां सीने के पार हुई, इसलिए मौके पर ही मौत हो गई। उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल भी मारे गए। बाकी लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने। हत्या से महज 10 दिन पहले ही राजू और पूजा की शादी हुई थी। राजू पाल की पत्नी पूजा ने उस समय के सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ के अलावा तीन दूसरे लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था। इस हत्याकांड के पीछे वजह यह थी कि सांसद बनने से पहले अतीक अहमद शहर पश्चिम से विधायक हुआ करता था। जब वह सांसद बना तो सीट खाली हो गई।
सीट उसी के पास रहे इसलिए उसने अपने भाई अशरफ को चुनाव में खड़ा किया लेकिन राजू पाल ने बसपा के टिकट पर अशरफ को हरा दिया। साल 2004 में हुए इस चुनाव का बदला ही 2005 में लिया गया। इसी मामले में उमेश पाल मुख्य गवाह थे। लेकिन 24 फरवरी को उनकी भी उसी अंदाज में हत्या कर दी गई।
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