Wrestlers Protest News: बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस ने जांच के बाद कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी. नाबालिग महिला पहलवान से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस ने पीड़िता और उसके पिता के बयानों के आधार पर कैंसिलेशन रिपोर्ट दाखिल की है. वहीं, 6 बालिग महिला पहलवानों के मामले में पुलिस ने एक हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है.
इसे लेकर पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि चार्जशीट से साफ है कि बृजभूषण शरण सिंह दोषी हैं, लेकिन हमारे वकील कोर्ट से चार्जशीट मिलने के बाद आरोपों का पता लगाएंगे. उन्होंने कहा कि हम पहले देखेंगे कि जो वादे किए गए थे वो पूरे होते हैं या नहीं उसके बाद हम अगला कदम उठाएंगे. दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न मामले में शिकायत को रद्द करने की सिफारिश की है.
क्या होगा दिल्ली पुलिस का अगला कदम?
ताजा हालातों को देखते हुए सबसे अहम सवाल ये है कि पहलवानों की मांगों पर दिल्ली पुलिस का अगला कदम क्या होगा? संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही दिल्ली पुलिस पहलवानों के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले सकता है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी पहलवानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को दिल्ली पुलिस वापस लेगी.
दिल्ली पुलिस ने 28 मई को पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया समेत प्रदर्शन के आयोजकों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. पहलवानों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में भी केस दर्ज है.
क्या हैं पहलवानों की मांगें?
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात के दौरान पहलवानों ने यौन शोषण के आरोपी पूर्व WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग की थी. इसके साथ ही भारतीय कुश्ती संघ के निष्पक्ष चुनाव कराने, किसी महिला को WFI चीफ बनाने, बृजभूषण और उनके परिवार का किसी भी सदस्य को कुश्ती संघ में जगह न देने और 28 मई को पहलवानों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी.
पहलवानों के खिलाफ किन धाराओं में दर्ज है केस?
दिल्ली पुलिस ने 28 मई को नई संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पहलवानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा करने), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने), धारा 186 (लोकसेवक के काम में बाधा पहुंचाने), धारा 188 (जानबूझकर लोकसेवक के आदेश की अवमानना), धारा 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्यों को करने से रोकने के लिए, स्वैच्छिक नुकसान या चोट पहुंचाने) और धारा 353 (लोकसेवक के कर्तव्य में बाधा पहुंचाने के लिए हमला या आपराधिक बल के प्रयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
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