Bihar Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव का सियासी रण तैयार है। बीजेपी जनता का दिल जीतने के लिए खूब प्रचार-प्रसार करने में जुटी है। बिहार में नीतीश की पलटी ने बीजेपी को पुनः सत्ता में बिठा दिया है। वही सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है की बिहार की सियासत में पुनः भूचाल आने वाला है। नीतीश चाचा पुनः पलटी मार सकते हैं। तो दो सहयोगी दलों में सीट बटवारे को लेकर बवाल मचा हुआ है। बताया जा रहा है की बिहार में महाराष्ट्र वाली स्थिति बनी हुई है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि पीएम मोदी की कल बेतिया में रैली हुई जिसमें बिहार के दो बड़े नेता चिराग पासवान और उपेंद्र कुशावाहा अनुपस्थित दिखे।
क्या कहते हैं जानकार:
जानकारों का दावा है बिहार में इंडिया गठबंधन ने बड़ा दांव खेला है। तेजस्वी की नीति कमाल करते दिखाई दे रही है। बिहार में सत्ता पलट की आहाट मिल रही है। क्योंकि बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चीफ चिराग पासवान को राज्य में 8 लोकसभा सीटें और यूपी में दो सीटों की पेशकश हुई है लेकिन बिहार में एनडीए उन्हें केवल 6 सीटें ऑफर कर रहा है। जो कहीं न कहीं चिराग पासवान को एकदम नहीं पसंद आया है। उम्मीद यह भी जताई जा रही है एनडीए चिराग पासवान की पार्टी की कुछ सीट कम भी कर सकती है।
एनडीए की सीट उथल पुथल नीति का फायदा उठाते हुए विपक्षी गठबंधन एनडीए ने चिराग के सामने उनकी शर्त को मानने का प्रस्ताव रख दिया है। तेजस्वी यादव ने एक बयान से यह भी साफ़ कर दिया है की जो चाहे वह उनकी पार्टी में आ सकता है। उनको कहीं जाना नहीं है। उनके बयान ने चिराग पासवान के लिए नए द्वार खोल दिए है। अब अगर बिहार में चिराग अपनी पार्टी की लो तेज करना चाहते हैं तो उनके सामने तेजस्वी यादव का समर्थन देना उम्दा विकल्प साबित हो सकता है।
क्या होगा चिराग को लाभ:
बीजेपी में चिराग पासवान के चाचा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पशुपति पारस अपने पैर मजबूती से जमा चुके हैं। बीजेपी कहीं न कहीं उनको चिराग से अधिक महत्व भी देती है। चाचा भतीजे के मध्य राजनीतिक अनबन है यह बात जगजाहिर है। ऐसे में यदि चिराग पासवान पाला बदलते हैं और तेजस्वी यादव के साथ हाथ मिला लेते हैं। तो उनकी पार्टी का कद बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाएगी। क्योंकि नीतीश की पलट नीति ने तेजस्वी को बिहार का दमदार नेता बना दिया है। जनता तेजस्वी यादव को बिहार के अगले सीएम के रूप में देख रही है। ऐसे में अगर चिराग पासवान पलट नीति अपनाते हैं तो उनको एक अलग पहचान के साथ बिहार में मजबूती मिलगी और जो अपने अस्तित्व को जीवित रखने की लड़ाई अपने पिता के देहांत के बाद से लड़ना उन्होंने आरम्भ की है उसमें उनको सफलता मिलेगी।