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बीते दिन बिहार विधानसभा में दिए भाषण के बाद तेजस्वी यादव एक कुशल नेता के रूप में दिखाई दिए। उनके भाषण की सराहना सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दलों ने की। नीतीश कुमार ने विश्वास मत प्राप्त कर लिया और बिहार में पुनः एनडीए की सरकार बन गई। विश्वास मत के पक्ष में 129 वोट पड़े जबकि बहुमत हेतु 122 वोट की आवश्यकता थी।
नीतीश कुमार बीते महीने 28 जनवरी को महागबंधन (जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस का गठबंधन) से अलग होकर सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। नीतीश की बार-बार दल बदलो नीति ने बिहार के विकास पर पूर्ण विराम लगा दिया है। जनता के मन में सवाल हैं कि बार-बार दल बदल कर नीतीश कुमार जनता का हित नहीं स्वयं का हित देख रहे हैं। नीतीश को सत्ता से प्रेम हैं नीतीश को जिस तरफ से स्वयं का फायदा दिखाई देता है वह उधर दौड़ जाते हैं।
क्या बोले तेजस्वी यादव:
कल बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव एक कुशल नेता के रूप में दिखाई दिए। उन्होंने बारी-बारी सबपर कटाक्ष किया लेकिन शब्दों की मर्यादा नहीं लांघी। तेजस्वी यादव के भाषण में लालू यादव की झलक दिख रही थी। इतनी सहजता के साथ अपना पक्ष रखना आज की राजनीती में किसी नेता के लिए संभव नहीं है। लेकिन तेजस्वी ने वह कर दिखाया। तेजस्वी के अंदाज से यह साफ़ दिखाई दे रहा था की नीतीश की पाला बदलो नीति से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद नीतीश तेजस्वी खेमे में उनकी नीतियों पर बोझ थे। जो स्वयं ही उतर गए।
नीतीश पर बरसते हुए तेजस्वी यादव बोले- आपने कहा- मुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा। आपकी पार्टी को तोड़ने का काम किया जा रहा है। आप ही आए थे। केंद्र से तानाशाही सत्ता को गिराने का लक्ष्य लेकर। हम सब तो एकता के बलबूते आपके साथ चले थे। मोदी जी की गारंटी बहुत मजबूत गारंटी है न क्या मोदी जी गारंटी लेंगे कि यह अब नहीं पलटेंगे। उन्होंने आगे कहा- आप(नीतीश कुमार) जो झंडा लेकर चले थे की मोदी जी को रोकना है। अब आपका यह भतीजा आपका झंडा लेकर बिहार में मोदी जी को रोकने का काम करेगा।