Sonia Gandhi: लोकसभा चुनाव को कुछ दिन शेष बचे हैं। बीजेपी अपनी विकास नीति और मोदी के बलबूते सत्ता में अपना दबदबा कायम रखना चाहती है। तो कांग्रेस स्वयं को अस्तित्व में लाने के लिए कोशिश में लगी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जनता से सीधा सम्पर्क साध रहे हैं, आज भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल को जनता का नेता बना दिया है। वही इस बीच सोनिया गांधी ने राज्यसभा के लिए राजस्थान से अपना नामांकन दर्ज किया है। सोनिया के इस फैसले ने अब कांग्रेस को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीति के जानकारों ने इसे गलत रणनीति बताया है।
क्या कहते हैं जानकार:
विशेषज्ञों का कहना है की कांग्रेस अपने अस्तित्व की तलाश में जुटी है। सोनिया गांधी यूपी के रायबरेली का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। अचानक से सोनिया गांधी का लोकसभा से राज्यसभा की तरफ रुख करना विपक्ष और कांग्रेस के लिए गलत निर्णय साबित हो सकता है। क्योंकि सोनिया लोकसभा में विपक्ष और कांग्रेस का पक्ष रखतीं थीं। उन्होंने राजनीति को लम्बा समय दिया है – ऐसे में वह सदन में देश के मुद्दों को उठाने में विपक्ष की तरफ से निपुण नेता थीं। ऐसे में चुनाव के नजदीक सोनिया का यह निर्णय कांग्रेस के हतार्थ में ठीक साबित नहीं हो सकता है।
क्यों छोड़ा रायबरेली:
रायबरेली कांग्रेस का गढ़ है। इंदिरा के दौर से यहां की जनता कांग्रेस पर विश्वास जताते चली आ रही है। सोनिया गांधी के परिवार के प्रति रायबरेली की जनता सम्मानित भाव रखती है। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित है। योगी के नेतृत्व में यूपी हिंदुत्व के मार्ग पर चल पड़ा है। घर-घर श्री राम का जयघोष है। ऐसे में रायबरेली में कांग्रेस के लिए अपनी सीट सुरक्षित रखना बड़ा संकल्प होगा।
सोनिया गांधी की उम्र अब 75 वर्ष हो गई है। स्वास्थ्य स्थिर नहीं रहता है। आय दिन उनको स्वास्थ्य संबंधित समस्या के चलते अस्पताल के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। रायबरेली ऐसी सीट है जहां कांग्रेस को जीत का परचम लहराने के लिए अँधा कैम्पेनिंग करनी पड़ेगी। सोनिया जानती हैं कि कैम्पेनिंग के लिए वह अस्वस्थ हैं। ऐसे में वह अधिक भागा-दौड़ी भी नहीं कर सकती। तो रायबरेली सीट से उनका चुनाव लड़ना कांग्रेस के हितार्थ नहीं है। रायबरेली सीट पर कांग्रेस किसी युवा नेता को अपना प्रत्याशी बना सकती है।
जानकारों का मत है की कांग्रेस प्रियंका गांधी या राहुल गांधी में से किसी एक को रायबरेली सीट से मैदान में उतार सकती है। लेकिन इस संदर्भ में कांग्रेस आलाकमान से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उम्मीद यह भी जताई जा रही है की इस सीट पर कांग्रेस कोई बड़ा राजनीतिक दांव खेल सकती है।