प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विरासत का संरक्षण करने के लिए उनकी सरकार द्वारा देश में एक नया सांस्कृतिक ढांचा विकसित करने का दावा करते हुए कहा कि सरकार आजादी के आंदोलन में जनजातीय समुदायों के योगदान को अमर बनाने के लिए 10 विशेष संग्रहालय बना रही है। उन्होंने इसे पूरे विश्व में अपनी तरह की अनूठी पहल बताते हुए कहा कि इसमें ट्राइबल डाइवर्सिटी की व्यापक झलक देखने को मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो- 2023 का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार हर राज्य और समाज के हर वर्ग की विरासत के साथ-साथ स्थानीय और ग्रामीण संग्रहालयों के संरक्षण के लिए एक विशेष अभियान चला रही है। उन्होंने देश के सभी परिवारों से अपने-अपने घरों में भी अपने परिवार से जुड़े इतिहास का संग्रहालय बनाने की अपील करते हुए देशभर के स्कूलों, संस्थाओं और देश के शहरों को भी अपनी विरासत का संग्रहालय बनाने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री ने कलाकृतियों की तस्करी को साझी चुनौती बताते हुए कहा कि भारत सैकड़ों वर्षों से इस समस्या से जुझ रहा है। देश की स्वतंत्रता से पहले और बाद में कई कलाकृतियों को अनैतिक तरीके से देश से बाहर ले जाया गया। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों पर गर्व करते हुए कहा कि दुनिया भर में भारत के बढ़ते प्रभाव के कारण पिछले 9 वर्षों में 240 प्राचीन कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है जबकि आजादी के बाद के कई दशकों में 20 कलाकृतियां भी भारत वापस नहीं आ पाई थी। उन्होंने दुनिया के सभी देशों से मिलकर कलाकृतियों की तस्करी को रोकने का आाण करते हुए कहा कि किसी भी देश के किसी भी संग्रहालय में ऐसी कोई कलाकृति नहीं होनी चाहिए, जो वहां अनैतिक तरीके से पहुंची हो। इसे सभी संग्रहालयों के लिए एक नैतिक प्रतिबद्धता बना लेना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हम अपनी विरासत का संरक्षण करेंगे और एक नई विरासत भी बनाएंगे।
प्रधानमंत्री ने गुलामी के कालखंड का जिक्र करते हुए कहा कि गुलामी के सैकड़ों वर्षों के लंबे कालखंड ने भारत का एक नुकसान यह भी किया कि हमारी लिखित-अलिखित बहुत सारी धरोहर नष्ट कर दी गई। कितनी ही प्राचीन पांडुलिपियां और पुस्तकालयों को गुलामी के कालखंड में जला दिया गया, तबाह कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ भारत का नुकसान नहीं हुआ बल्कि यह पूरी दुनिया का, पूरी मानव जाति का नुकसान हुआ है। पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से आजादी के बाद अपनी धरोहरों को सरंक्षित करने के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे, वह हो नहीं पाए और लोगों में धरोहरों के प्रति जागरूकता की कमी ने इस क्षति को और ज्यादा बढ़ा दिया। इसलिए आजादी के अमृतकाल में भारत ने जिन पंच-प्राणों की घोषणा की है, उनमें प्रमुख है- अपनी विरासत पर गर्व।
उन्होंने कहा कि जब हम एक संग्रहालय में प्रवेश करते हैं तो हम अतीत से जुड़ते हैं और संग्रहालय तथ्य और साक्ष्य-आधारित वास्तविकता प्रस्तुत करता है और यह अतीत से प्रेरणा प्रदान करता है और भविष्य के प्रति कर्तव्य की भावना भी देता है। अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की थीम ‘सस्टेनेबिलिटी एंड वेलबीइंग’ आज की दुनिया की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालती है और इस आयोजन को और भी प्रासंगिक बनाती है।