समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार लगातार पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा कर रही है। भाजपा सरकार साजिश के तहत पिछड़ों, दलितों के आरक्षित पद खत्म कर रही है। अखिलेश यादव ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि आरक्षण को खत्म करने के लिए रणनीति के तहत निजीकरण को बढ़ाया दिया जा रहा है। सरकारी विभागों में जो नौकरियां और भर्तियां निकलती है उनमें भी पिछड़ों और दलितों की कोई न कोई कारण बताकर भर्ती नहीं की जा रही है। बाद में सरकार इन खाली पदों पर अपने चहेतां की भर्तियां कर लेती है। कहा कि भाजपा पिछड़ों और दलितों का आरक्षण खत्म कर रही है।
बोले कि सामाजिक न्याय की विरोधी भाजपा हर कदम पर दलितों, पिछड़ों के साथ भेदभाव कर रही है। पिछले दिनो लखनऊ पीजीआई में आरक्षण के नियमों को दर किनार कर अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों को खाली छोड़ दिया गया। सपा मुखिया ने कहा कि प्रदेश में विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में भी दलितों, पिछड़ों की उपेक्षा की गयी है। प्रदेश में पिछले वर्षो में हुई नियुक्तियों में भाजपा सरकार ने पिछडों, दलितों को उनका हक नहीं दिया। 69 हजार शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई। पिछड़ों को उनका हक नहीं मिला।
अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी पिछड़ों और दलितों के इसी हक और सम्मान को दिलाने के लिए लम्बे समय से जातीय जनगणना की मांग करती आ रही है। लेकिन भाजपा सरकार जातीय जनगणना का विरोध कर रही है। भाजपा जातीय जनगणना से डरती है। जबकि पिछड़ों, दलितों के हक और सम्मान दिलाने, उनके साथ हो रहे भेदभाव और अन्याय को खत्म करने के लिए जातीय जनगणना और सभी जातीयों का आंकड़ा होना बेहद जरूरी है। जातीय आंकड़े होने से सरकारी योजनाएं बनाने में आसानी होगी।