भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौतियाँ: एक विश्लेषण
यह लेख भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करने वाली चुनौतियों, विशेष रूप से बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और उससे उत्पन्न होने वाले खतरों पर केंद्रित है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में व्यक्त चिंताओं और इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुझाए गए उपायों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। विश्व स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव और उसके पड़ोसियों के साथ संबंधों की जटिलताएं भी इस लेख का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
बांग्लादेश में हिंसा और भारत विरोधी प्रचार
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ये घटनाएँ केवल तात्कालिक कारणों से नहीं बल्कि हिंदुओं के खिलाफ लगातार हो रहे अत्याचारों के कारण हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की हिंसा से न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक समुदाय खतरे में हैं। भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं को एकजुट होकर खुद का बचाव करने की सराहना की, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यह लंबे समय तक का समाधान नहीं है। वैश्विक स्तर पर हिंदुओं के समर्थन की आवश्यकता और भारत सरकार द्वारा हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
भारत विरोधी प्रचार और पाकिस्तान के साथ संभावित गठबंधन
भागवत ने बांग्लादेश में भारत-विरोधी प्रचार की ओर ध्यान दिलाया, जहाँ भारत को बांग्लादेश विरोधी शक्ति के रूप में चित्रित किया जा रहा है और पाकिस्तान को मित्र देश के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न होने के कारण, बांग्लादेश और पाकिस्तान का संयुक्त भारत-विरोधी गठबंधन भारत के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। यह चिंता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे प्रोपेगैंडा के पीछे के कारणों की गहरी पड़ताल और उसके निवारण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
भारत की बढ़ती शक्ति और विदेशी हस्तक्षेप
वैश्विक शक्तियों द्वारा भारत की प्रगति को चुनौती
भागवत ने यह बताया कि भारत की बढ़ती शक्ति कुछ ताकतों द्वारा चुनौती दी जा रही है जो डर और आक्रामकता के आधार पर गठबंधन बनाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत मज़बूत, एकजुट और किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने इस गतिविधि को असफल बनाने के लिए भारत की शक्ति और एकता पर विश्वास व्यक्त किया है। ये विदेशी ताकतें भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने और अपनी साज़िशें फैलाने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही हैं।
गहरी साजिशें और विचारधाराओं का प्रसार
भागवत ने गहरे राज्य की साजिशों, सांस्कृतिक मार्क्सवाद और जागृत विचारधाराओं की चिंता व्यक्त की जो शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक संस्थानों में घुसपैठ कर रही हैं। इन ताकतों का लक्ष्य कथात्मक नियंत्रण करना और भारत की सांस्कृतिक अखंडता को कमज़ोर करना है। यह एक गंभीर मुद्दा है जिसे सचेत रहकर ही निपटाया जा सकता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों पर कड़ी निगरानी की ज़रूरत है।
आंतरिक चुनौतियाँ और सामाजिक मूल्यों का क्षरण
नैतिक पतन और महिलाओं के खिलाफ अपराध
भागवत ने कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म की घटना की निंदा करते हुए भारतीय समाज पर नैतिक पतन के प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का ढीला रवैया और अपराधियों को बचाने के प्रयास अपराध, राजनीति और एक जहरीले संस्कृति के खतरनाक संबंध को प्रदर्शित करते हैं। सामाजिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और नैतिक पतन के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव
मोबाइल फोन और अनियंत्रित इंटरनेट एक्सेस के कारण युवा पीढ़ी हानिकारक सामग्री का सेवन कर रही है। भागवत ने हानिकारक विज्ञापनों और अश्लील दृश्यों पर क़ानूनी नियंत्रण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। मादक द्रव्यों की लत के बढ़ते प्रसार से समाज खोखला हो रहा है, इसलिए सदाचार को बढ़ावा देने वाले मूल्यों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
निष्कर्ष: एकजुटता और सशक्तिकरण की आवश्यकता
मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के समक्ष मौजूद गंभीर चुनौतियों को रेखांकित किया गया है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता, हिंदू विरोधी हिंसा, विदेशी हस्तक्षेप और आंतरिक चुनौतियों से निपटने के लिए एकता, सशक्तिकरण और सजगता की आवश्यकता है। भारत को अपने मूल्यों को बनाए रखने, युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन प्रदान करने और किसी भी खतरे का सामना करने के लिए एकजुट रहने की ज़रूरत है।
मुख्य बिन्दु:
- बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर चिंता का विषय है।
- भारत-विरोधी प्रचार और पाकिस्तान के साथ संभावित गठबंधन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा करते हैं।
- विदेशी हस्तक्षेप और आंतरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए एकता और सशक्तिकरण आवश्यक है।
- युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने की जरूरत है।