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राजनीति– बिहार की राजनीति में बड़ा फेरबदल हुआ। नीतीश कुमार ने बीते महीनों में बीजेपी का साथ छोड़ा और तेजस्वी यादव के साथ नई सरकार का गठन किया। पहले जो बीजेपी सत्ता में थी वह नीतीश के इस कदम से सत्ता से बाहर हो गई। सत्ता बदलते ही बीजेपी नीतीश कुमार पर हमला बोलने लगी। जिस नीतीश के नेतृत्व में बिहार बीजेपी के विधायक काम कर रहे हैं उन्हें उन नीतीश की नीतियों में कमी दिखाई देने लगी। 

वहीं अब बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी जमीनी स्तर पर स्वयं को मजबूत करने में जुटी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने बिहार में अपनी रणनीति में बड़ा फेरबदल किया है। बीजेपी के मुख्य चेहरे जो राज्यों का दौरा करके जनता से सम्पर्क साधा रहे हैं। 

बीजेपी की नीति पर महागठबंधन का बयान-

वहीं सत्ताधारी दल सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मैटर में फसी हुई है। सत्ताधारी दल का कहना है कि बीजेपी को भय है। अपने डर के चलते बीजेपी सीबीआई का खेल खेल रही है। सीबीआई की आड़ में बीजेपी अपने प्रतिद्वंद्वी को दबाना चाहती है। जनता बीजेपी को भली भांति जानती है। जब विपक्ष बीजेपी पर भारी पड़ता है तो बीजेपी सरकारी एजेंसियों का उपयोग करके उनकी बुलंद आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।

क्या है बीजेपी की रणनीति-

बीजेपी नेता बिहार में अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि वह अलग-अलग राज्यों में मोदी जी की स्कीम से लोगों को अवगत करवा रहे हैं। वहीं कई बड़े नेता छोटे दलों से सम्पर्क साधकर उन्हें अपने खेमे में करने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसका सबसे सटीक सबूत तब सामने आया जब बिहार प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से मुलाकात की।
बता दें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जेडीयू भी एनडीए का हिस्सा थी। उस चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी। बीजेपी पुनः अपना यही रिकॉर्ड कायम रखना चाहती है। हालाकि बीजेपी के लिए यह आसान नही होगा। क्योंकि इस बार महागठबंधन भी बिहार में मजबूती के साथ खड़ी है और यह बीजेपी को कांटे की टक्कर भी दे रही है।