राजनीति- कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद पार्टी में खलबली मच गई है। क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी में अपने दिग्गज नेताओं की सम्पूर्ण ताकत लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धमाकेदार रैलियां करवाईं, जय बजरंग बली के नारे लगे लेकिन जनता ने मुद्दों को महत्व देते हुए कांग्रेस पर विश्वास जताया। कर्नाटक हार के बाद बीजेपी अब काफी सजग हो गई है और जमीनी स्तर पर अपनी रणनीतियों में परिवर्तन करने की कोशिश में जुट गई है।
इसी कड़ी में बीजेपी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से सम्पर्क साधा है, नेताओं को पार्टी की ओर से निर्दश हैं कि वह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े व कार्यकर्ताओं के मन में पार्टी को लेकर जो भी समस्याएं हैं उनका जल्द से जल्द निष्पादन किया जाए। जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि पार्टी उन नेताओं को अधिक महत्व दे रही है जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और जो आरम्भ से भाजपा के पक्ष में हैं उनपर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।
बीजेपी लगातार अपने कार्यकर्ताओं की समस्या जानकर उन्हें सुलझाने की कोशिश कर रहे है। इसके साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को जनता के बीच सक्रिय करना और उन्हें केंद्र की योजनाओं की संपूर्ण जानकारी जनता तक पहुंचाने की बात कर रही है। बीजेपी का यह भी मानना है कि बिना जनता से जुड़े सत्ता में अपनी धाक जमा पाना आसान नहीं है यदि हमें सत्ता में बना रहना है तो हमें जनता से जुड़ा रहना होगा। सिर्फ बड़े नेताओं के बलबूते पर चुनावी रण जीत पाना संभव नहीं हैं।
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ का मानना है कि कर्नाटक हार से बीजेपी ने सबक लिया है। बीजेपी को यह मालूम हो गया है कि कार्यालय पर मीटिंग करने और धर्म के नाम पर भाषण देने से हम अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं. वहीं बड़े नेताओं को तुरुप का इक्का समझ कर हम जनता को भ्रमित नहीं कर सकते जनता को जीतने के लिए हमें उनके कल्याण की बात करनी होगी।