राजनीति:- साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं। विपक्ष केंद्र में सत्ता परिवर्तन के लिए लगातार विपक्ष एकता का नारा दे रहा है। लेकिन विपक्ष एकता से पूर्व नेतृत्व की बात समाने आई है।
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि नेतृत्व उनके हाथ मे होगा। कांग्रेस की इस मांग ने विपक्ष एकता के सूत्र में मानो गांठ डालने का काम किया है। अब अगर सभी विपक्षी दल इसे नहीं स्वीकार करते हैं तो विपक्ष का एकजुट होकर एनडीए गठबंधन को टक्कर देने का सपना टूट जाएगा।
कांग्रेस की इस मांग को कई विपक्षी दलों ने स्वीकार किया है। लेकिन कई दल ऐसे हैं जो अभी तक इस शर्त पर मौन हैं। क्योंकि हर कोई कांग्रेस के हाथ मे नेतृत्व नहीं देखना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि भले ही विपक्ष एकता और एकजुटता का संदेश दे रहा है। लेकिन उनके बीच नेतृत्व को लेकर खटास जारी है। कांग्रेस के हाथ मे नेतृत्व।देना हर किसी को मंजूर नहीं है।
अगर हम स्पष्ट तौर पर इसे समझें तो मुख्य विपक्ष एकता के सूत्रधार, जेडीयू, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी नेतृत्व को लेकर मौन हैं। क्योंकि बार-बार जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया गया है ओर कहा गया है कि वह एक अनुभवी और इस पद के लिए उपर्युक्त व्यक्ति हैं।
वहीं तृणमूल की ओर से ममता बनर्जी को इस पद के लिए परफेक्ट बताया गया है। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि ममता बनर्जी ने संघर्ष से खुदको स्थापित किया है। ममता बनर्जी एक मात्र ऐसी महिला प्रधानमंत्री होंगी जो देश हित के लिए काम करेंगी और पूरा देश उन्हें स्वीकार करेगा।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की चाहत किसी से छुपी नहीं है। वह कई बार यह कह चुके हैं हो सकता है आगामी समय मे केंद्र में उनकी सत्ता हो।
अब ऐसे में अगर कांग्रेस ने नेतृत्व अपने हाथ मे रखने की बात कही है और विपक्ष कांग्रेस की इस शर्त से इत्तेफाक नहीं रखता है। तो विपक्ष एक मजबूत गठबंधन कभी नहीं तैयार कर पाएगा।