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राजनीति: राजस्थान में साल के अंत में चुनाव होना। कांग्रेस ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मध्य जारी आपसी मतभेद खत्म कर दिया है। कांग्रेस का खत्म हुआ मतभेद बीजेपी के लिए समस्या बन सकता है। क्योंकि पायलट राजस्थान के मजबूत नेता माने जाते हैं, युवा बड़ी संख्या में सचिन  का समर्थन करता है। अब अगर ऐसे में बीजेपी ने राजस्थान विजय हेतु कोई नया सूत्र नहीं अपनाया तो कांग्रेस को टक्कर देना बीजेपी के मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि सचिन की लोकप्रियता के चलते 2018 के चुनाव में बीजेपी को राजस्थान में करारी हार का सामना करना पड़ा था। 

बीते चुनाव में राजस्थान में 39 सीट में से कांग्रेस ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन बात तब बिगड़ने लगी जब सचिन पायलट को  मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। गुर्जर जाति के लोग कांग्रेस से नाराज हो गए और पार्टी में आपसी कलह देखने को मिली। जानकारों का कहना है कि राजस्थान की राजनीति दो जाति मीणा और गुर्जर के इर्द-गिर्द घूमती है। यह दोनों जातियां  सचिन पायलट की ओर झुकाव रखती हैं। जब सचिन को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो दोनों के मन में कांग्रेस के प्रति खिन्न भाव आ गया। 

जानकारों का मानना है कि यह दोनों जातियां इस बार कांग्रेस को वोट देने से पूर्व विचार अवश्य करेगी अब ऐसे में यदि बीजेपी इन्हें अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है तो कांग्रेस के लिए राजस्थान में जीत दर्ज करना असंभव हो सकता है। 

क्या है कांग्रेस का क्रेज –

राजस्थान में भले ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत के मध्य विवाद देखने को मिला है लेकिन आज भी  जनता की जुबान पर कांग्रेस का नाम है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने जनता को खूब प्रभावित किया है। जनता का कहना है कि कांग्रेस जमीन से जुडी पार्टी है कांग्रेस आम जनमानस के भाव को  समझती है और सचिन पायलट कांग्रेस के वह नेता है जो युवाओं से सीधे जुड़कर उनके बेहतर भविष्य के लिए बेहतर निर्णय लेने का सामर्थ्य रखते हैं। 

सचिन पायलट एक ऐसे नेता हैं जिनकी लोकप्रियता किसी विशेष सीट तक सीमित नहीं है। हर तरफ सचिन का क्रेज है हर विधानसभा सीट पर सचिन की धाक जमी हुई है और अगर वास्तव में कांग्रेस राजस्थान में पुनर्वापसी करती है तो उसका सम्प्पूर्ण श्रेय सचिन पायलट को जाएगा। सूत्रों का दावा यह भी है की सचिन पायलट इस चुनाव में एक नए अवतार में नई जिम्मेदारी के साथ नजर आएंगे।