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दिल्ली के बंगले का राजनीतिक घमासान

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दिल्ली के बंगले का राजनीतिक घमासान
दिल्ली के बंगले का राजनीतिक घमासान

दिल्ली के मुख्यमंत्री अतीशी को सिविल लाइन्स स्थित विवादित 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले का औपचारिक आवंटन शुक्रवार को किया गया। इससे दो दिन पहले कथित रूप से उन्हें जबरन वहाँ से खाली कराया गया था। अधिकारियों ने बताया कि बंगले के हैंडओवर और इन्वेंट्री तैयार करने की उचित प्रक्रिया पूरी होने के बाद अतीशी को यह बंगला औपचारिक रूप से आवंटित किया गया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा जारी एक प्रस्ताव पत्र में उल्लेख किया गया है कि चूँकि यह बंगला विभिन्न “उल्लंघनों” के लिए CBI और अन्य एजेंसियों द्वारा जाँच के अधीन है, इसलिए आवंटी को जाँच में पूरा सहयोग करने की “सलाह” दी जाती है।

बंगले का आवंटन और विवाद

आवंटन प्रक्रिया:

PWD के पत्र में कहा गया है कि दिल्ली प्रशासन आवास आवंटन (सामान्य पूल) नियम, 1977 के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री अतीशी को बंगला आवंटित किया गया था। प्रस्ताव पत्र में उनसे आठ दिनों के भीतर विधिवत प्रेषित पारिवारिक फोटो की तीन प्रतियों के साथ स्वीकृति प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया है, जिसके बाद उन्हें बंगले पर कब्ज़ा करने के लिए PWD द्वारा “अधिकार पर्ची” दी जाएगी। पत्र में यह भी कहा गया है कि निर्दिष्ट समय के भीतर आवंटित बंगले पर कब्ज़ा न लेने की स्थिति में आवंटन रद्द माना जाएगा। इसके अलावा, यदि अतीशी 6, फ्लैगस्टाफ रोड पर कब्ज़ा करने के 15 दिनों के बाद किसी अन्य सरकारी बंगले पर कब्ज़ा कर रही हैं तो उन्हें उसे खाली करना होगा।

भाजपा का आरोप और “शीशमहल” विवाद:

भाजपा ने आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए इस बंगले को “शीशमहल” करार दिया। केजरीवाल ने नौ साल तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में इसी बंगले में निवास किया था। भाजपा ने बंगले के पुनर्निर्माण, महंगे इंटीरियर और घरेलू सामानों में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया है। यह बंगला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपराज्यपाल (LG) कार्यालय के बीच तीव्र संघर्ष का केंद्र रहा है, खासकर केजरीवाल द्वारा इस महीने की शुरुआत में इसे खाली करने के बाद।

अतीशी को आवंटन की शर्तें और प्रक्रिया की जांच

शर्तों का विवरण:

प्रस्ताव पत्र में कई शर्तें शामिल हैं, जिसमे आवंटित समयसीमा के अंदर कब्ज़ा लेना, पारिवारिक फोटो जमा करना, और अन्य सरकारी बंगले खाली करने की बात शामिल है। ये शर्तें सरकारी बंगलों के आवंटन और उपयोग के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने के लिए लागू की गयी हैं। किसी भी शर्त का उल्लंघन आवंटन को रद्द कर सकता है।

जांच एजेंसियों का रोल:

प्रस्ताव पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बंगला कई “उल्लंघनों” की जांच के अधीन है, और अतीशी से पूरी तरह से सहयोग करने का आग्रह किया गया है। इससे जांच एजेंसियों की भूमिका की स्पष्टता मिलती है और यह भी संकेत मिलता है कि आवंटन इस जांच के परिणामों से प्रभावित नहीं होगा।

बंगले की राजनीति और भविष्य की संभावनाएँ

राजनीतिक प्रभाव:

इस पूरे प्रकरण का दिल्ली की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। भाजपा ने इस मुद्दे को AAP के खिलाफ प्रचार के लिए काम में लिया है। इससे सरकार की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। यह घटना दिखाती है कि कैसे सरकारी बंगलों का आवंटन राजनीतिक मतभेदों और संघर्ष का केंद्र बन सकता है।

आगे की कार्रवाई:

अब यह देखना बाकी है कि CBI और अन्य एजेंसियों की जांच क्या परिणाम देती है। अगर जांच में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हालाँकि फिलहाल मुख्यमंत्री अतीशी को बंगला आवंटित कर दिया गया है।

निष्कर्ष:

  • अतीशी को 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले का आवंटन विवादों से भरा रहा।
  • भाजपा ने इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
  • बंगले की आवंटन प्रक्रिया और शर्तें स्पष्ट हैं।
  • CBI और अन्य एजेंसियों की जांच महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम बड़े प्रभाव डाल सकते हैं।
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