राजनीति– राजनीति(politics) आज अलग दिशा में जा रही है। राजनेता अपने पद की गरिमा खो चुके हैं। एक मिनट नहीं लगता किसी बड़े नेता को उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को अपमानित करने मे। आज स्वतंत्रता(Right To freedom) के अधिकार के नाम पर व्यक्तिगत प्रहार हो रहा है और सत्ता में आने के लिए राजनेता(politics leader) किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
यदि हम इतिहास खंगाले तो वहां की राजनीति में नियम और कानून दिखाई देते थे। राजाओं में आदर्श थे। वह अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ नियमों के मुताबिक युद्ध करते थे। उनके खिलाफ रणनीति बनाते थे लेकिन उनपर व्यक्तिगत प्रहार नहीं करते थे। उस दौर में राजनेता राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन को अलग रखते थे। उनके विचारों में मतभेद होता था। लेकिन उनके मन मे मन भेद नहीं होता था।
लेकिन आज दौर इतना परिवर्तित हो गया है कि राजनेता एक भी मौका नहीं छोड़ते किसी व्यक्ति को उसके अतीत के नाम पर नीचा दिखाने का। आचार्य चाणक्य का मानना था कि आप अपने प्रतिद्वंद्वी से तभी जीत सकते हैं जब आप उसकी आलोचनाओं को सहन करने की क्षमता खुद के भीतर विकसित कर लें और उसके छल कपट के मध्य अपने सत्य से आगे बढ़ें।
परंतु आज राजनीति से सत्य गायब हो गया है। राजनेता सत्ता हासिल करने के लिए निरंतर जूठ गढ़ते है। कोई प्रधानमंत्री की कब्र खुदवाने की बात करता है। तो उन्हें चोर बताता है। कोई उनका उपहास एक ऐसे मंच पर बनाता है जहां भारत की छवि वैश्विक मंच पर बिगड़े। तो कोई विपक्ष को टोटी चोर बताता है। कोई पप्पू कहकर अपने प्रतिद्वंद्वी पर प्रहार करता है। कोई इंदिरा की मौत का मजाक बनाता है तो कोई राजीव के संघर्ष पर सवाल उठाता है।
राजनेताओं का यह व्यवहार राजनीतिक को बेहद गंदा बनाता है। उनके व्यवहार से हर कोई आज एक पृथक दिशा में आगे बढ़ता है। युवाओं के मन मे राजनेताओं के प्रति गलत विचार आते हैं। वहीं युवा उचित और अनुचित का बोध करने में असमर्थ हो जाता है।