भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव के बीच, भारत में विपक्षी गठबंधन “इंडिया” में एक और दरार उजागर हो गई है। इस मामले में, भारत की कनाडा सरकार पर तीखी आलोचना के बीच, विपक्ष और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच भी एक लड़ाई चल रही है। इस मामले की शुरुआत कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने की, जब उन्होंने एक्स पर लिखा, “कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप, जिनका अब कई अन्य देशों ने समर्थन किया है, बढ़ते जा रहे हैं, जो भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं और ब्रांड इंडिया को नुकसान पहुंचा रहे हैं। एक ऐसे देश के रूप में हमारे राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय छवि जो कानून के शासन में विश्वास करता है और उसका पालन करता है, खतरे में है, और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम इसे बचाने के लिए एक साथ काम करें।”
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर के सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने भी भारत-कनाडा संबंधों में सुधार का जोरदार पक्ष लिया। उनका यह रुख इस तथ्य से उपजा है कि कनाडा में बड़ी संख्या में सिख और पंजाबी बस गए हैं और वहां से बहुत बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था का भी संचालन होता है। चन्नी और उनके जैसे नेताओं के लिए भारत-कनाडा संबंधों का समर्थन करना एक राजनीतिक दबाव है।
लेकिन जयराम रमेश और चन्नी का रुख, पंजाब के ही एक अन्य सांसद मनीष तिवारी के रुख से बिल्कुल अलग है। पंजाब में आतंकवाद के चरम पर होने के समय मनीष तिवारी ने अपने पिता को आतंकवादियों के हाथों खो दिया था और कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के प्रति उनका गुस्सा स्पष्ट और समझने योग्य है। उन्होंने न्यूज18 को बताया, “जब कनिष्का बम विस्फोट हुआ, तब कनाडाई सरकार को कुछ करना चाहिए था। लेकिन जिस तरह से ट्रूडो ने इसे संभाला है और आरोप लगाए हैं वह अतार्किक है।”
कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी नहीं है जिसके अंदर मतभेद दिख रहे हैं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी इसी तरह बंटी हुई है। उदाहरण के लिए, टीएमसी सांसद सगरीका घोष ने कहा, “भारतीय विदेश नीति में हमेशा से एक उच्च नैतिक उद्देश्य रहा है जिसे बनाए रखना चाहिए। मोदी सरकार को अपने अगले कदमों के बारे में विपक्ष को बताना होगा।”
हालांकि, टीएमसी नेता साकेत गोखले, मनीष तिवारी जैसे लग रहे थे जब उन्होंने कनाडाई प्रधानमंत्री पर हमला किया। टीएमसी सांसद ने कहा, “कनाडा के पीएम ट्रूडो और उनके ‘फाइव आइज’ सहयोगियों का पाखंड चौंकाने वाला है।”
अंत में, पार्टियों के भीतर इस मतभेद से यह पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक मजबूत विदेश नीति और शक्तियों के सामने खड़े होने के मामले में मजबूत स्थिति में दिख रही है, जबकि विपक्ष राष्ट्रवाद के मामले में खुद को पिछड़ा हुआ पाता है।
भारत की वैश्विक छवि और ब्रांड इंडिया को लेकर चिंता
जैसे ही कनाडा द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने गंभीर रूप धारण किया, विपक्ष के कुछ नेताओं ने “ब्रांड इंडिया” की प्रतिष्ठा और भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर इन आरोपों के संभावित नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मामले को लेकर सार्वजनिक तौर पर अपनी चिंताएं प्रकट कीं, और कहा कि इन आरोपों से भारत की छवि को नुकसान पहुँचा रहा है।
विपक्षी दलों की चिंता
विपक्षी दलों के लिए ब्रांड इंडिया को बनाए रखना और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को मजबूत बनाना भी अहम है। चूँकि यह भी उनका देश है और उनकी सरकार होने पर इन सवालों के सामने उन्हें ही खड़े होना पड़ता है। यह बात विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने स्वीकारी, जिससे पता चलता है कि इस मामले को लेकर कुछ हद तक आपसी सहमति है। हालांकि, उनके कनाडा के प्रति रुख में कुछ मतभेद भी दिखाई दे रहे हैं।
कानून के शासन पर प्रश्न उठाना
जयराम रमेश की चिंता “कानून के शासन” से जुड़ी है। उनका कहना है कि कनाडा के आरोप, भारत की छवि को इस बात से जोड़कर दिखा रहे हैं कि वह “कानून के शासन” के सिद्धांत को नहीं मानता है। उनका मानना है कि कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप “कानून के शासन” में विश्वास की छवि को खतरे में डाल रहे हैं।
कनाडा सरकार द्वारा आरोप
कनाडा सरकार द्वारा भारत सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोप “कानून के शासन” के बारे में संशय पैदा करने के लिए काफी मजबूत हैं। आरोपों के आधार पर यह कहना सही हो सकता है कि भारत सरकार अपनी पक्षपात रहित न्याय प्रणाली और अपनी अपनी न्याय प्रणाली के ने समर्थन के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध नहीं है। इस लिए, जैसे-तैसे इस बात को सही साबित करने में कनाडा सफल रहता है , वैसे-वैसे भारत की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना प्रारंभ हो जाता है।
पंजाब का राजनीतिक दबाव
पंजाब में सिखों और पंजाबियों की बड़ी आबादी कनाडा में बसती है। पंजाब की अर्थव्यवस्था भी कनाडा से जुड़ी हुई है। ऐसे में पंजाब के कुछ नेताओं के लिए भारत और कनाडा के संबंधों में सुधार करना राजनीतिक दबाव बन गया है। चरणजीत सिंह चन्नी ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए भारत और कनाडा के बीच मधुर संबंधों को बनाए रखने का समर्थन किया है।
विपक्ष के पक्ष में मतभेद
हालांकि, पंजाब में भी कुछ नेता कनाडा सरकार के प्रति कड़ा रवैया अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए, मनीष तिवारी ने कनाडा के पीएम ट्रूडो पर आतंकवाद के मामलों में लापरवाही का आरोप लगाया है।
यह स्थिति यह दर्शाती है कि पंजाब में भी विपक्ष के नेताओं के बीच कनाडा के प्रति रवैया भिन्न है। यह रवैया स्थानीय लोगों की राय, राजनीतिक हितों, और व्यक्तिगत अनुभवों से प्रभावित हो रहा है।
टाकवे पॉइंट्स
- भारत-कनाडा संबंधों के तनाव को लेकर “इंडिया” गठबंधन में मतभेद दिखाई दे रहे हैं।
- कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
- “कानून के शासन” की छवि को खतरे में डालते हुए, कनाडा आरोपों के माध्यम से अपनी छवि को मजबूत करने में लग गया है।
- पंजाब में, विपक्षी नेता कनाडा के प्रति भिन्न रुख अ अपना रहे हैं।