भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाकर कई समीकरणों को दुरुस्त करने की कोशिश जरूर की है। वैसे, चौधरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिहार में भाजपा के अकेले की सरकार बनाने और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लक्ष्य 36 से अधिक सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों की जीत दिलाने की है। बिहार में भाजपा सरकार में रही है, लेकिन भाजपा का नेता कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी एनडीए को बहुमत मिला और एनडीए में भाजपा को सबसे अधिक सीट भी मिली, लेकिन पूर्व घोषणा के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने।
बिहार में जदयू के महागठबंधन के साथ जाकर सरकार बनाने के बाद भाजपा संगठन को न केवल मजबूत करने में जुटी है, बल्कि बिहार में अकेले दम पर सरकार बनाने की कवायद में भी जुटी है। अध्यक्ष बनने के बाद सम्राट चौधरी भी मानते हैं कि उनकी सबसे बड़ी चुनौती भाजपा की सरकार बनाने की है। उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता पार्टी को विस्तार देते हुए बिहार में भाजपा की सरकार बनाना है। साथ ही हम अपने कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की रक्षा करेंगे।
इस बयान से तय है कि चौधरी अपने नेतृत्व में न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करेंगे, बल्कि उनमें नई ऊर्जा का संचार कर महाठबंधन से आमने सामने की सियासी लड़ाई लड़ेंगे। चौधरी की पहचान आक्रामक नेता की रही है। चौधरी के समक्ष प्रदेश कमिटी को स्ंतुलित बनाने की भी होगी, जिससे पार्टी मे गुटबाजी की शुरूआत नहीं हो। चौधरी के हाथ में कमान मिलने के बाद तय है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव इनके हो कार्यकाल में होगा। ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कि प्रदेश कमिटी में अनुभवी और युवा का तालमेल देखने को मिलेगा।
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