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डेस्क रिपोर्ट:

राहुल गांधी के खिलाफ मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर रांची कोर्ट में प्रदीप मोदी ने 23 अप्रैल, 2019 को मुकदमा दायर कराया था। मामले में अगस्त 2022 तक पीड़क कार्रवाई पर लगी रोक समाप्त हो चुकी है। इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए राहुल गांधी की उपस्थिति को लेकर कोर्ट ने पहले भी समन जारी किए थे। एक तरफ गुजरात कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सांसदी चली गई तो वहीं अब रांची कोर्ट ने उन्हें आखिरी समन जारी करते हुए 4 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं। दरअसल, राहुल गांधी के खिलाफ मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर रांची कोर्ट में प्रदीप मोदी ने 23 अप्रैल, 2019 को मुकदमा दायर कराया था।मामले में अगस्त 2022 तक पीड़क कार्रवाई पर लगी रोक समाप्त हो चुकी है।इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए राहुल गांधी की उपस्थिति को लेकर कोर्ट ने पहले भी समन जारी किए थे।राहुल गांधी के वकील ने फरवरी में उपस्थिति से छूट की अर्जी दाखिल की थी, जिसे अदालत तीन मई को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने राहुल गांधी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए थे। अब एक और समन जारी करते हुए उन्हें पेश होने को कहा गया है। मामले की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट से 15 दिनों का समय मांगा था. इस पर कोर्ट ने 4 जुलाई की तारीख तय की है।

बचकानी हरकतों से बाज नही आते राहुल गांधी:

देश के बड़े नेताओं में शुमार राहुल गांधी अक्सर अपनी  बचकानी हरकतों की वजह से कांग्रेस पार्टी के लिए कोई न कोई   मुसीबतें खड़ी कर देते है जो   उनके विरोधी राजनैतिक पार्टियों के नेताओ  के  लिए बढ़िया मुद्दा मिल जाता है जो राहुल गांधी के साथ- साथ कांग्रेस पार्टी के लिए नासूर बन जाता है। अभी विगत दिनों पहले सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ से जुड़े बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें  दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने आईपीसी  के सेक्शन 504 के तहत गांधी को दोषी करार दिया, जो शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित है। फैसला सुनाए जाते समय राहुल गांधी अदालत में मौजूद थे।राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499मानहानि, आईपीसी   500  मानहानि की सजा  के तहत दो साल जेल की सजा सुनाई और 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (ई) के संदर्भ में सहपठित जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत अयोग्यता का प्रावधान किया गया है। 1951 के अधिनियम में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति दोषी ठहराया जाता है और दो साल या उससे अधिक के लिए कारावास की सजा सुनाई जाती है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और उसकी रिहाई के बाद छह साल की एक और अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा।गौरतलब है कि अयोग्यता का फैसला पलटा जा सकता है, यदि हाईकोर्ट अपील में संबंधित व्यक्ति की सजा पर रोक लगाता है या संबंधित व्यक्ति के पक्ष में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील का फैसला करता है।यह आदेश भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी की एक शिकायत पर आया है। पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए दायर किया था ।जिसमें दावा किया गया था कि राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए ‘मोदी’ उपनाम के साथ सभी लोगों को बदनाम किया।राहुल गांधी पर मानहानि के पूरे 6 अलग-अलग केस है ।अधिकांश केसों की सुनवाई गुजरात की अदालतों में चल रही है । उक्त मामले में  राहुल गांधी ने सदस्यता समाप्त होने एवं सजा होने पर बयान दिया है कि वह माफी नहीं मांगेंगे और वह अडानी को लेकर चुप नहीं रहेंगे और  अडानी को लेकर निरंतर प्रश्न पूछते रहेंगे चाहे उसके लिए उन्हें जो कीमत चुकानी पड़ेगी। वही उपरोक्त मामले में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपरोक्त मामले में कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावो  में राहुल गांधी की संसद सदस्यता निरस्त करने एवं मानहानि की  सजा को लेकर  भारतीय जनता पार्टी को घेरने का प्रयास करेगी। अब आगामी चुनाव में ही पता चल पाएगा कि राहुल गांधी की हठ , और मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद जनता कितना किस दल को कितना  समर्थन करेगी और किसकी सरकार बनाएगी लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी एक परिपक्व नेता है ,  लेकिन उनके बयानों और  उनकी हठधर्मिता को  देखकर नहीं लगता है कि वो अब पूर्ण रूप से परिपक्व हैं। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की बचकानी हरकतों को भुनाने  का काम किया है, अब यह तो आगामी चुनावो में ही पता चल पाएगा कि कौन कितना परिपक्व है लेकिन वर्तमान हालातों में जो कांग्रेस पार्टी की स्थिति है जो राहुल गांधी की स्थिति है उससे तो एक बात साफ हो गई है कि राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं क्योंकि मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी समाप्त हो गई है। जिसके बाद  राहुल गांधी के लिए कई मुसीबतें खड़ी हो गई हैं।