Lok Sabha Election 2024: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी और विपक्ष दोनों जुटे हुए हैं। एक तरफ बीजेपी 38 दलों के साथ मिलकर मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है। तो दूसरी तरफ विपक्ष एकजुटता का संकल्प लेकर बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेकना चाहता है। बीते दिनों में बेंगलुरु में विपक्ष एकता की बैठक हुई, बैठक में 26 दल शामिल हुए और विपक्ष एकता पर मुहर लगी। विपक्ष ने अपने गठबंधन का नया नाम India रखा। अब लोकसभा चुनाव India बनाम NDA होगा। विपक्ष एकता की अलगी बैठक मुंबई में होगी। लेकिन बीती बैठक में कांग्रेस ने कुछ ऐसी घोषण कर दी जो विपक्ष एकता में मील का पत्थर साबित हुई।
कांग्रेस ने विपक्ष की मीटिंग में यह साफ़ किया की कांग्रेस को पद की अभिलाषा नहीं है। यह लड़ाई देश की लड़ाई है, लोकतंत्र की लड़ाई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कहते हैं- कांग्रेस को सत्ता या पीएम पद में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम देश के लिए खड़े हैं। हम लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करना चाहते हैं। यह कांग्रेस की तरफ से बड़ा कदम है। कांग्रेस के इस कदम से राजनीति का अब नया रूप देखने को मिलेगा और आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका लाभ भी होगा।
क्यों कांग्रेस ने बदली रणनीति –
कांग्रेस बीते कई सालों से जनता के बीच अपनी सकारात्मक छवि बनाने के प्रयास में जुटी हुई है। बीजेपी बार-बार कांग्रेस पर परिवारवाद की राजनीति का इल्जाम लगाती है। वही विपक्ष की कई पार्टी ऐसी भी हैं जो कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं करना चाहती। कांग्रेस जानती है यदि वह सत्ता का मोह त्याग देती है तो विपक्ष के गठबंधन को मजबूती मिलेगी और सींटों के बंटवारे में विपक्ष के अन्य दल कांग्रेस के प्रति सहानुभूति दिखाएंगे।
दूसरा पीएम पद से कांग्रेस के पीछे हटने का कारण यह भी हो सकता है कि कांग्रेस सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टी है। वह लोकसभा चुनाव में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। अगर कांग्रेस पद का त्याग करती है तो अन्य दल कांग्रेस की मांग के सामने झुक सकते हैं और इससे कांग्रेस का कुनबा भी बढ़ेगा और बीते सालों में जो वोट बैंक कांग्रेस ने खो दिया है पुनः हासिल कर पाएगी।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस का यह निर्णय उसकी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है और उसके पास अनुभवों की कमी नहीं है। कांग्रेस यह समझ रही है कि पीएम पद विपक्ष एकता में रोड़ा बन सकता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अभी चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं हैं। वही विपक्ष के अन्य दलों में कई वरिष्ठ नेता हैं जो पीएम पद के लिए उपर्युक्त हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस पीछे नहीं हटती है तो विपक्ष गठबंधन की गांठ खुलने के आसार अधिक हैं कांग्रेस इस बार कोई भी लापरवाही नहीं करना चाहती है। वही सोनिया को विपक्ष की बैठक में लाकर कांग्रेस ने अन्य दलों को एक कम्फर्ट जोन दे दिया है।
कांग्रेस का यह फैसला विश्वसनीयता के परिदृश्य से भी काफी उम्दा है। विपक्ष के अन्य क्षेत्रिय दलों को अब यह विश्वास है की कांग्रेस उनके साथ दोहरा खेल नहीं खेलेगी और अब अन्य कोई दल भी पीएम पद की मांग नहीं कर सकेगा। कांग्रेस के इस फैसले के बाद अब लोकसभा चुनाव तक विपक्ष की ओर से पीएम पद का चेहरा गुप्त रह सकता है।
गठबंधन पर जनता का मत :
मीडिया कर्मियों ने जब कांग्रेस के गठबंधन का नाम India होने के परिपेक्ष्य में जनता से सवाल किया तो जनता के पक्ष और विरोध दोनों में मत मिले। जनता का मोटा – मोटा मानना है की कांग्रेस प्रयास कर रही है अच्छी बात है लेकिन कांग्रेस किन लोगों के साथ मिलकर प्रयास कर रही है यह उसे सोचना चाहिए। आज जो दल एकजुट हुए हैं, दावा कर रहे हैं कि यह लड़ाई लोकतंत्र की लड़ाई है, जनता के हित की लड़ाई है वह कभी कांग्रेस को उभरता हुआ नहीं देखना चाहते।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से स्वयं की छवि जनता के नेता के रूप में विकसित की है। वह अब सीमाओं के दायरे को तोड़ चुके हैं। कभी किसी किसान से मिलने जाते हैं, तो कभी किसी मैकेनिक की शाप में पहुंचते हैं, कभी स्टूडेंट्स से बात करते हैं तो कभी यू ही सड़को पर निकल पड़ते हैं। आज राहुल में इंदिरा नजर आती हैं और अगर वास्तव में कोई नेता अभी जनहितकारी है तो वह राहुल गांधी हैं।
कांग्रेस ने गठबंधन करके स्वयं को मजबूती से 2024 के चुनाव के लिए खड़ा कर लिया है। अब कांग्रेस पद के लिए नहीं जनता के हित के लिए लड़ रही है। कांग्रेस को जन समर्थन मिलेगा और यदि प्रयास बेहतर रहा तो 2024 में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा।
हालाकि बीजेपी समर्थकों का कहना है विपक्ष चाहें जितना एकजुट हो जाए मोदी को मात नहीं दे सकता। विपक्ष के साथ एकता का संकल्प उन लोगों ने लिया है जो करप्शन में डूबे हैं ,मोदी के आने से उनकी रोजी रोटी नहीं चल रही है इसलिए वह मोदी को सत्ता से हटाना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम यह संभव नहीं है।
जानें India में शामिल दलों के नाम :
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)
3. द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक)
4. आम आदमी पार्टी (AAP)
5. जनता दल (यूनाइटेड)
6. राष्ट्रीय जनता दल (राजद)
7. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो)
8. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)
9. शिवसेना (यूबीटी)
10. समाजवादी पार्टी (सपा)
11. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद)
12. अपना दल (कमेरावादी)
13. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां)
14. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)
15. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
16. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)
17. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन
18. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)
19. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक
20. मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)
21. विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके)
22. कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके)
23. मणिथनेय मक्कल काची (एमएमके)
24. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल)
25. केरल कांग्रेस (एम)
26. केरल कांग्रेस (जोसेफ)
NDA के 38 दलों के नाम :
1. भारतीय जनता पार्टी
2.शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)
3. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट)
4. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली)
5.अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
6. अपना दल (सोनीलाल)
7. नेशनल पीपुल्स पार्टी
8. नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी
9. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन
10. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा
11. मिज़ो नेशनल फ्रंट
12. इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा
13. नागा पीपुल्स फ्रंट, नागालैंड
14. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले)
15. असम गण परिषद
16. पट्टाली मक्कल काची
17. तमिल मनीला कांग्रेस
18. यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल
19. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी
20. शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त)
21. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी
22. जननायक जनता पार्टी
23. प्रहार जनशक्ति पार्टी
24. राष्ट्रीय समाज पक्ष
25. जन सुराज्य शक्ति पार्टी
26. कुकी पीपुल्स एलायंस
27. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (मेघालय)
28. हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी
29.निषाद पार्टी
30. अखिल भारतीय एन.आर. कांग्रेस
31. एचएएम
32. जन सेना पार्टी
33. हरियाणा लोकहित पार्टी
34. भारत धर्म जन सेना
35. केरल कामराज कांग्रेस
36. पुथिया तमिलगम
37. लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवन)
38. गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट