Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सत्ता का खेल लगातार बदलता जा रहा है. एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के गठबंधन में अचानक एनसीपी के अजित पवार की एंट्री हो गई, जिससे माहौल और ज्यादा गरमा गया. इसी बीच उद्धव गुट वाली शिवसेना लगातार बीजेपी पर हमलावर है. अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना (उद्धव गुट) ने एक बार फिर बीजेपी और पीएम मोदी को निशाने पर लिया. इस संपादकीय का टाइटल- “चोर बाजार के असली मालिक…” इसमें पीएम मोदी की तस्वीर लगाई गई है.
लूट का माल खरीद रही बीजेपी- सामना-
शवसेना ने सामना में लिखा, कांग्रेस मतलब ‘लूट की दुकान’, झूठ का बाजार ऐसा जोरदार हमला प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में एक कार्यकम में बोलते हुए किया. उनका ऐसा बोलना आम बात है. प्रधानमंत्री को सही मायने में अपनी पार्टी के बारे में बोलना था, लेकिन भूल से उनके मुंह से कांग्रेस का नाम आ गया. कांग्रेस अथवा अन्य राजनीतिक ‘दल’ लूट की दुकान होंगे तो भाजपा लूट का माल खरीदकर अपना घर क्यों भर रही है? इसका खुलासा प्रधानमंत्री मोदी को करना चाहिए. मूलत: भाजपा ही अब राष्ट्रीय चोर बाजार हो गई है. चोरी का, लूट का माल खरीदनेवाली पार्टी के तौर पर बदनाम हो गई है.
शिंदे-अजित पवार पर गंभीर आरोप-
देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए शिवसेना के मुखपत्र में लिखा है- महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री फडणवीस मोदी के आदेश का पालन करते हुए कहते हैं, ‘मैं फिर आऊंगा, ऐसा बोला था. आते समय ‘दो’ को लेकर आया.’ ये दो मतलब शिंदे-अजीत पवार. दोनों पर बेशुमार भ्रष्टाचार के आरोप हैं. मतलब ‘आते समय भ्रष्टाचार व लूट का माल लेकर आए.’ ऐसा ही श्रीमान फडणवीस कहना चाह रहे होंगे. प्रधानमंत्री मोदी आठ दिनों पहले बोले थे, ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस यह सबसे भ्रष्ट पार्टी है.’ उसी राष्ट्रवादी पार्टी को उन्होंने तुरंत गोद में बैठा लिया.
‘भ्रष्ट पार्टी के विधायक बीजेपी में होते हैं शामिल-
सामना में आगे केसीआर का जिक्र किया गया. शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, अब मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर हमला बोला है. केसीआर सरकार मतलब सबसे भ्रष्ट सरकार, ऐसा आरोप मोदी ने लगाया है. अब हमें उस केसीआर पार्टी की चिंता है. क्योंकि मोदी जिस पार्टी को भ्रष्ट कहते हैं अगले कुछ दिनों में वह पार्टी भाजपा का मित्र बनकर सत्ता में शामिल हो जाती है. अथवा भ्रष्ट पार्टी में फूट डालकर उसमें सबसे भ्रष्ट गुट को भाजपावासी बनाया जाता है. यही भाजपा का राजनीतिक शिष्टाचार बन गया है.
‘तेलंगाना में भी हो सकता है खेल-
सामना में लिखा गया, भाजपा को अपनी ‘लूट की दुकान’ चलाने के लिए अन्य दलों के चोरों की जरूरत है क्या? अथवा ऐसे चोरों के चयन के लिए उसने किसी राष्ट्रीय समिति का गठन किया है क्या? पिछले कुछ कालखंड को देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पद की प्रतिष्ठा और गरिमा का बिल्कुल भी भान नहीं रखा है. आगामी दिनों में तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए वहां के मुख्यमंत्री पर उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. कल यही केसीआर अथवा इनकी पार्टी से टूटकर लोग भाजपा में शामिल हो गए तो यही केसीआर मोदी के लिए सबसे सच्चे साबित होंगे.
सामना में मध्य प्रदेश में हुई उस घटना का भी जिक्र किया गया, जिसमें एक दलित पर पेशाब की गई. इसमें लिखा गया, मध्यप्रदेश में भाजपा के लोग दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं. एक दलित पर भाजपा के मदमस्त पदाधिकारी द्वारा खुलेआम पेशाब करने की घटना से देश ही नहीं दुनियाभर में छी-छी हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया. भोपाल में एक दलित युवा को भाजपा के कार्यकर्ता ने तलवे चाटने के लिए मजबूर किया, यह प्रकरण भी भयंकर है.
मणिपुर हिंसा और खालिस्तान का जिक्र
मणिपुर हिंसा और खालिस्तान आंदोलन का जिक्र करते हुए सामना में लिखा गया, मणिपुर में भाजपा की सरकार रहते हुए वहां दो महीने से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. लगभग दो सौ के आसपास लोगों की यहां मौत हुई है और प्रधानमंत्री ने अब तक मणिपुर हिंसाचार पर मुंह नहीं खोला है. इसे क्या कहेंगे? प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में खालिस्तानी आंदोलन फिर से सिर उठा रहा है. कनाडा से लेकर लंदन तक खालिस्तानी समर्थक हमारे दूतावास के सामने जाकर देश विरोधी नारे लगाते हैं तो कहीं दूतावास पर तोड़फोड़ करते हैं और सरकार इस संदर्भ में पूरी तरह से मौन धारण किए हुए हैं.