देश - लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा विपक्ष एक ही उदेश्य पर काम कर रहा है कि ऐसी क्या रणनीति अपनाई जाए कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो और यूपीए की सरकार बन जाए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटे हुए हैं। नीतीश कुमार ने कई बड़े विपक्षी दलों के मुख्य नेताओं से मुलाकत की। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गाँधी, नवीन पटनायक का नाम इसमें शामिल है जानकारों का दावा है कि यह मुलाकात विपक्ष एकता के परिपेक्ष्य में थी हालाकि किसी ने भी अभी विपक्ष एकता को लेकर कोई घोषणा नहीं की है।
विपक्ष नेता नीतीश कुमार का समर्थन कर रहे लेकिन विपक्ष को एकजुट करने में नीतीश कामयाब होंगे या नहीं यह कहना बेहद मुश्किल है क्योंकि विपक्ष में प्रत्येक पार्टी पद की अभिलाषी है। बीजेपी का कहना है कि नीतीश यह सब प्रधानमंत्री बनने के लिए कर रहे हैं, नीतीश ने कभी इस बात की पुष्टि नहीं की है, कांग्रेस स्वयं को मुख्य विपक्षी दल मान रही है। सपा स्वयं को सबसे मजबूत दल के रूप में देख रही है। अब ऐसे में यूपीए की ओर से एक मजबूत गठबंधन तैयार होने में बड़ी समस्या नजर आ रही है।
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हालाकि इतिहास उठाकर देखें तो कांग्रेस ने नेतृत्व में यूपीए गठबंधन तैयार हुआ है और केंद्र में दो बार यूपीए की सरकार बनी है परन्तु इस बार नेतृत्व नीतीश कर रहे हैं विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास नीतीश का है तो अब ऐसे में विपक्ष एकता में पद की लड़ाई का घमासान देखने को मिल सकता है। वहीं बीजेपी का कहना है कि नीतीश कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह संभव नहीं होगा प्रत्येक दल अपने मुताबिक चलना चाहता है विपक्ष में कोई झुकना नहीं चाहता। वह एक को जोड़ेंगे दूसरा चला जायेगा क्योंकि विपक्ष मीटिंग कर रहा है लेकिन उनको उनका नेता नहीं मिल रहा जो अंत तक उनको जोड़ के रख सके।
विपक्ष के पास कोई नेता नहीं है। न विपक्ष यह समझ पा रहा है कि प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्ष की ओर से नीतीश, राहुल व ममता इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. तणमूल नेताओं का दावा है कि ममता बनर्जी इस पद के लिए उपर्युक्त क्योंकि पश्चिम बंगाल में जनता ममता दीदी को काफी पसंद करती है और इंदिरा गाँधी के बाद ममता बनर्जी एक ऐसी प्रधानमंत्री बन सकती हैं जो अपनी सादगी के लिए जानी जाएंगी।
राहुल की अगर बात करें तो भारत जोड़ो यात्रा ने उनको जमीनी नेता बना दिया है अब राहुल गांधी जनता के नेता है राहुल की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई है। दावा किया जा रहा है राहुल अब जनता की समस्या को बेहतर ढंग से समझते है यदि वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो वह जनता की समस्या को समझेंगे।
अब इस सबसे की बीच विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या प्रधानमंत्री पद का चेहरा किसे बनाया जाए यह निर्धारित करना है। क्योंकि यही निर्धारित करेगा विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में नीतीश सफल होंगे या नहीं।