बीते हफ्ते शनिवार (13 मई) को कर्नाटक चुनाव परिणाम घोषित हुए थे. इन चुनावों में कांग्रेस ने विजय हासिल की, जीत के बाद एक तरफ जहां पार्टी अपना सीएम चुनने के मीटिंग कर रही है तो वहीं पार्टी का समर्थन करने वाले समुदाय अपने नेताओं को कैबिनेट में जगह देने की मांग कर रहे हैं. एक तरफ 2013 की सरकार में कैबिनेट का हिस्सा रहे पार्टी के दिग्गज नेता खुद के दोबार कैबिनेट में आने की उम्मीद से आलकमान की तरफ देख रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर राज्य में जीत के लिए जिम्मेदार अन्य समुदाय के लोग अपने नेताओं को कैबिनेट पोर्टफोलियो दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
हमें भी दें उचित भागीदारी
हाल ही में मुस्लिम समुदाय के नेताओं को कैबिनेट में उचित जगह दिए जाने को लेकर उपमुख्यमंत्री पद के साथ कुल पांच कैबिनेट पोस्ट की मांग की है. समुदाय के नेताओं ने दावा किया कि पार्टी के प्रति मुसलमानों की वफादारी ने कांग्रेस को 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 सीटों का जनादेश हासिल करने में मदद की. कांग्रेस पार्टी ने 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिनमें से 11 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शफी सादी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से कहा मुस्लिम समुदाय पार्टी के पीछे खड़ा है, सादी वही नेता हैं जिनको बीजेपी ने वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनने में मदद की थी.
कांग्रेस सरकार से क्या बोले शफी सादी?
शफी ने कहा, चुनाव से पहले हमने मुस्लिमों के लिए 30 सीटों की मांग की थी, लेकिन हमें केवल 15 सीटें ही दी गईं, उन सीटों में से 9 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. 72 सीटों पर कांग्रेस सिर्फ मुसलमानों की वजह से जीती है. उन्होंने कहा, हम पार्टी के साथ तब खड़े हुए जब उसे हमारी जरूरत थी और अब बदले में अच्छे मंत्रालय पाने का समय आ गया है. हम गृह, राजस्व और शिक्षा जैसे विभागों के साथ एक डिप्टी सीएम पद चाहते हैं.
लिगायत नेताओं को भी प्रतिनिधित्व मिलाना तय
कर्नाटक जीतने में पार्टी का समर्थन करने वाला लिंगायत समुदाय भी अपने उम्मीदवारों के लिए पदों की मांग कर रहा है. कांग्रेस द्वारा मैदान में उतारे गए 51 लिंगायत उम्मीदवारों में से 38 ने जीत हासिल की, जबकि बीजेपी के लिए यह संख्या काफी कम हो गई है. भले ही लिंगायतों को भगवा पार्टी का वोट बैंक माना जाता था, लेकिन 68 में से केवल 18 ही जीत पाए.