सुबह का समय था। नुक्कड़ पर बुजुर्गों का गुट बैठा हुआ था। अखबार मोदी, अतीक और राहुल से पटा हुआ था। चर्चा इंदिरा गांधी के दौर की हो रही थी। कई लोगों का कहना था कि उन्होंने कितनी सहजता से जनता से जुड़कर सत्ता चलाई। आज से पहले ऐसी चीजें कभी देंखने को नहीं मिलीं कि राजनीति में किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर प्रहार हो।
अब हमें विचार करना चाहिए कि 2024 में किसकी सरकार बनाई जाए। तभी एक नौजवान आता है कहता है दादा इसमें सोचना क्या है 2024 में पुनः भगवा सरकार बनाई जाएगी। देश भगवा के नेतृत्व में सुरक्षित है। आज हर ओर हिन्दू का बोलबाला है अगर हम भगवा का साथ निभाएंगे तो हमारा भारत हिन्दू राष्ट्र होगा। हर तरफ हिन्दू का बोलबाला होगा।
तभी एक आवाज आती है इससे भविष्य में क्या फायदा होगा। जवाब मिलता है हिन्दू का। फिर सवाल उठता है मुस्लिम और अन्य समुदाय के लोगों का क्या होगा। जवाब मिलता है उनकी कट्टरता खत्म होगी। युवाओं के ऐसे प्रश्न में मन मे कई प्रश्नचिन्ह लग गए। वास्तव में अब देश का युवा किस दिशा में जा रहा है। क्या उसका भविष्य सिर्फ भगवा तक सीमित है?
आज युवा भगवा में इतना विलीन है कि उसे यह नहीं दिखाई देता कि उसका भविष्य किस दिशा में जा रहा है। जो युवा देश के विकास की रीढ़ माना जाता है। वह आज अपना भविष्य पत्थर, हिंसा, नफरत और हिन्दू मुस्लिम करने में देख रहा है। गले मे भगवा अंगवस्त्र डाल कर हर चौराहे पर सोशल मीडिया की लड़ाई लड़ रहा है। उसे किसी भी नेता का बयान प्रभावित कर देता है। डेमोक्रेसी का अर्थ मानों युवा भूल गया है। उसका एक मकसद अपनी बात को सही ठहराना है।
कैसे भगवा बना भविष्य-
राजनीति में धर्म को जो जितने अच्छे से जोड़ता है। उतना प्रभावी होता है। समाज को अगर किसी एक विचारधारा की तरफ मोड़ना है तो उसे राजनीति का चूरन चटा देना चाहिए। बीजेपी यह बात बहुत पहले ही समझ गई थी। सभी राजनीतिक दल जब जाति की राजनीति कर रहे थे तब बीजेपी ने धर्म कार्ड को अपना हथियार बनाया। लोगों को जाति से नहीं धर्म से स्वयं से बांध लिया।
साल 2014 में बीजेपी की सरकार बनी। धर्म धीरे-धीरे अपना प्रभाव दिखाने लगा। साल 2017 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी ने राम मंदिर का कार्ड खेल दिया। राम मंदिर का कार्ड बीजेपी के लिए तुरुप का इक्का बन गया और युवाओं का जुड़ाव हिन्दू से हुआ। युवाओं के मन मे यह बात छाप कर गई कि हिन्दू से बड़ा कोई धर्म नहीं। बीजेपी हिन्दू हितैसी है। बीजेपी का धर्म हिन्दू धर्म की रक्षा करना है। 2019 में राम मंदिर निर्माण का फैसला आया और केंद्र में पुनः जनता का समर्थन से भगवा लहराया।
यह सभी बातें एक दूसरे से लिंक थी। क्योंकि बीजेपी उस दौर से धर्म का दांव चल रही है। ऐसा नहीं कि विपक्ष ने धर्म की राह नहीं अपनाई। लेकिन बीजेपी ने विपक्ष को दिखावटी हिन्दू साबित कर दिया। कई लोग विपक्ष को मौसमी हिन्दू कहते दिखे। यूपी में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को बैठाया गया। योगी की छवि हिन्दू ह्रदय सम्राट की थी। इस बात ने युवाओं को बीजेपी से ओर जोड़ दिया।
बीजेपी ने युवाओं का भविष्य भगवा करने के लिए काफी प्रयास किया। समय-समय पर धर्म से जुड़े अनुष्ठान किये। कभी प्रधानमंत्री काशी में दिखे तो कभी अयोध्या में। उनके भाषण में युवाओं को हिंदुत्व का भाव दिखा। बीजेपी के नेताओं ने राम मंदिर को नींव बनाकर युवाओं का भविष्य भगवा किया और विपक्ष को युवाओं की नजर में माइन्स पर पंहुचा दिया।
लोकतंत्र पर भगवा भारी-
लोकतंत्र का सामान्य अर्थ है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होता है। यह समाज में राजनीतिक एवं सामाजिक न्याय व्यवस्था की प्रणाली को बेहतर करने का कार्य करता है। लोकतंत्र के द्वारा नागरिकों को सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता मिलती है।
लोकतंत्र के अंतर्गत जनता को समान रूप से मताधिकार प्रदान किए जाते हैं जिससे वे अपनी इच्छा अनुसार निर्वाचित हुए किसी भी उम्मीदवार को मत देकर अपने प्रतिनिधि का चुनाव कर सकते हैं।
लेकिन आज के समय मे लोकतंत्र पर भगवा का प्रभाव भारी है। युवा हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई में उलझे हैं। अगर कोई अपने विचार व्यक्त करता है तो उसपर अंकुश लगाया जाता है। अगर कोई सवाल करता है तो उसकी आवाज को दबाया जाता है। आज दशा यह है कि अब बाकी लोगों का लोकतंत्र सुनने वाला और भगवा का लोकतंत्र बोलने वाला है। अगर कोई मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति अपने विचार व्यक्त करता है तो उसको म्यूट करने के लिए भगवा भविष्य सजग खड़ा रहता है। यह वास्तव में देश की दुर्लभ स्थिति है कि जो युवा देश का भविष्य है उसका भविष्य अब शिक्षा, ज्ञान, तार्किक विचारों से परे भगवा हो गया है।