Home politics सरनेम की राजनीति:- जब राहुल को जेल तो मोदी से क्यों प्रेम

सरनेम की राजनीति:- जब राहुल को जेल तो मोदी से क्यों प्रेम

34
0

राजनीति– कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Congress leader Rahul Gandhi) पर मानहानि का केस हुआ। उन्हें मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में सूरत की एक अदालत में 2 साल की सजा सुनाई गई। हालाकि राहुल गांधी(Rahul Gandhi) को तुरंत बेल भी मिल गई।

राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक(Karnataka) में चुनावी रैली के दौरान बनाया दिया था कि सभी चोर का सरनेम मोदी(Modi) क्यों होता है। अपने बयान में राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने नीरव मोदी(Nirav modi), ललित मोदी(lalit modi) और नरेंद्र मोदी (narendra modi)का जिक्र किया था।
राहुल गांधी(Rahul Gandhi) के खिलाफ बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी(BJP MLA puresh Modi) ने केस दायर किया था। उनका दावा था कि उनके बयान से पूरे मोदी समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। सूरत की कोर्ट ने राहुल को मानहानि मामले में दोषी करार दिया। लेकिन देश की राजनीति में सरनेम की सियासत का सिलसिला सिर्फ राहुल गांधी तक ही सीमित नहीं है। 
देश के बड़े-बड़े नेता सरनेम को इंगित करते हुए एक दूसरे पर कटाक्ष करते हैं। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर नेहरू सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। लेकिन इस बात पर न कोई ज्यादा सियासत हुई। न किसी ने प्रधानमंत्री से सवाल किया। न किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची न किसी ने मानहानि का केस दर्ज किया। लेकिन राहुल गांधी ने रैली में मोदी सरनेम उपयोग किया तो उनको दो वर्ष की सजा हुई।

आखिर सरनेम की राजनीति कहां से शुरू हुई- 

राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि पुरातन काल मे किसी का सरनेम नहीं होता था। लोग अपने कार्य के मुताबिक सम्मान पाते थे। लेकिन धीरे-धीरे देश की आबादी बढ़ी। लोगों की पहचान उनके सरनेम से होने लगी। व्यक्ति का सरनेम उसके काम, उसके रहने के स्थान, उसकी बातों से निर्धारित होने लगा।
धर्म ग्रंथो में कहा गया है कि व्यक्ति का सरनेम उसका उपनाम है। अगर कोई अपने आप नहीं बना सकता। व्यक्ति अपने माता पिता के कर्म और व्यवहार से इसे प्राप्त कर सकता है। वहीं मनुस्मृति में भी सरनेम का जिक्र मिलता है. इसमें लिखा है, ब्राह्मणों को अपने नाम के बाद ‘सरमन’ (खुशी या आशीर्वाद), क्षत्रियों को ‘वर्मन’ (शक्ति और सुरक्षा), वैश्यों को ‘गुप्ता’ (समृद्धि) और शूद्रों को ‘दास’ (गुलाम या निर्भरता) लगाना चाहिए।
सरनेम की राजनीति मुख्य रूप से भारत मे तब से आरंभ हुई जब गांधी परिवार ने नेहरू सरनेम का उपयोग न करके गांधी सरनेम करने लगा। बीजेपी के नेताओं से आरम्भ से ही गांधी परिवार को इंदिरा गांधी के पिता नेहरू के सरनेम को लेकर उनपर हमला किया है।
वहीं मोदी सरकार ने बीते दिनों नेहरू सरनेम को लेकर हमला किया। राज्य सभा मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था मुझे नहीं समझ आता कि एक पीढ़ी नेहरू सरनेम का उपयोग करने से क्यों डर रहा है उनको क्या शर्मिंदगी है।

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।