तेलंगाना लोक सेवा आयोग (TGPSC) की ग्रुप-I मुख्य परीक्षा के स्थगन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन और गिरफ्तारियां
तेलंगाना में TGPSC ग्रुप-I मुख्य परीक्षा के स्थगन की मांग को लेकर छात्रों और विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन राज्य में राजनीतिक तनाव का एक प्रमुख कारण बन गया है। केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार और तेलंगाना राष्ट्र समिति (BRS) के कई नेता इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए और पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी ने स्थिति को और जटिल बना दिया। यह घटना केवल एक परीक्षा स्थगन की मांग से कहीं आगे बढ़कर एक व्यापक राजनीतिक मुद्दे में तब्दील हो गई है, जिसमें आरक्षण नीति में बदलाव और पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई
आंदोलन का आरंभ और बढ़ता तनाव
छात्रों द्वारा TGPSC ग्रुप-I मुख्य परीक्षा के स्थगन की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलन चल रहा था। इस आंदोलन ने जोर पकड़ा जब विपक्षी दलों, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और BRS ने इसमें सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी। बंदी संजय कुमार के नेतृत्व में BJP कार्यकर्ताओं ने सचिवालय की ओर मार्च निकाला, जिसके दौरान उन्हें पुलिस ने रोका। इसके बाद आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच तनाव बढ़ गया और नारेबाजी शुरू हो गई।
नेताओं की गिरफ्तारी और हिरासत
पुलिस ने बंदी संजय कुमार समेत कई BJP और BRS नेताओं को हिरासत में ले लिया। उन्हें सचिवालय के पास आंबेडकर प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आंदोलनकारियों को विभिन्न पुलिस थानों में ले जाया गया। इस दौरान BJP और BRS कार्यकर्ताओं के बीच भी झड़पें हुईं। पुलिस ने कथित तौर पर महिला छात्राओं और गर्भवती महिलाओं के साथ भी मारपीट की, जिसकी BJP ने कड़ी निंदा की।
सरकारी आदेश (GO 29) का विरोध
आंदोलन का मुख्य केंद्रबिंदु है सरकार का सरकारी आदेश (GO 29), जिसने आरक्षण नीति में बदलाव किया है। छात्रों का दावा है कि इस GO से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की संभावनाएँ कम हो जाएंगी। उन्होंने इस GO को रद्द करने और परीक्षा स्थगित करने की मांग की है। कई याचिकाएँ उच्च न्यायालय में इस GO के खिलाफ लंबित हैं।
राजनीतिक आयाम
विपक्षी दलों की भूमिका
विपक्षी दलों, विशेषकर BJP और BRS ने इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। उनके नेताओं द्वारा सक्रिय भागीदारी ने इस आंदोलन को बड़ा आकार दिया है और सरकार पर दबाव बनाने का काम किया है। यह स्पष्ट है कि दोनों दल छात्रों की समस्याओं के प्रति अपनी राजनीतिक रणनीति के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और उच्च न्यायालय का फैसला
तेलंगाना सरकार ने आंदोलन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उच्च न्यायालय ने परीक्षा स्थगित करने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाएँ खारिज कर दी हैं, जिससे आंदोलनकारियों के लिए एक झटका लगा है। हालाँकि, विपक्षी दल और आंदोलनकारी अभी भी GO 29 को रद्द करने और परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
परीक्षा और छात्रों की चिंताएँ
परीक्षा का आयोजन और छात्रों की संख्या
ग्रुप-I मुख्य परीक्षा में लगभग 31,383 उम्मीदवार शामिल होने वाले हैं। यह परीक्षा विभिन्न विभागों में 563 पदों को भरने के लिए आयोजित की जा रही है। परीक्षा का आयोजन 21 से 27 अक्टूबर तक होना है। छात्रों का कहना है कि GO 29 के कारण उनके द्वारा वर्षों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, क्योंकि इससे आरक्षण सूची में उलटफेर हो जाएगा।
आरक्षण नीति में बदलाव और इसके प्रभाव
GO 29 में आरक्षण नीति में किए गए बदलावों को लेकर छात्रों में व्यापक असंतोष है। वे आरोप लगाते हैं कि यह बदलाव आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के लिए अवसरों को कम कर देगा। यह मुद्दा न केवल परीक्षा से जुड़ा हुआ है बल्कि राज्य की व्यापक आरक्षण नीति पर भी सवाल उठाता है।
निष्कर्ष
TGPSC ग्रुप-I मुख्य परीक्षा का स्थगन मांगने वाला विरोध प्रदर्शन, सिर्फ़ एक परीक्षा के स्थगन की मांग से कहीं अधिक जटिल मुद्दा बन गया है। यह मुद्दा आरक्षण नीति, विपक्षी दलों की राजनीति, और पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाता है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि तेलंगाना सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और छात्रों की मांगों को किस तरह से संबोधित किया जाता है।
मुख्य बिन्दु:
- TGPSC ग्रुप-I मुख्य परीक्षा का स्थगन छात्रों की प्रमुख मांग है।
- GO 29 के कारण आरक्षण नीति में बदलाव और इसके प्रभाव को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
- BJP और BRS नेताओं की गिरफ़्तारी ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।
- उच्च न्यायालय ने परीक्षा स्थगित करने से इनकार कर दिया है।
- यह मुद्दा राज्य की राजनीति में एक प्रमुख तनाव बिंदु बन गया है।