राजनीति: विपक्ष एकजुटता की बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है। लेकिन बीते दिन महाराष्ट्र में ऐसा भूकंप आया की विपक्ष एकता की नीव हिल गई और बीजेपी पुनः मजबूती के साथ खड़ी हो गई। एनसीपी नेता अजीत पवार ने विद्रोह कर दिया वह अपने 40 विधायकों के साथ शिंदे गुट से जा मिले। शिंदे गुट से जुड़ते ही अजीत पवार के हाथ उप-मुख्यमंत्री का पद आया। राज्यपाल ने अजीत पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई। अजीत पवार समेत एनसीपी के 9 विधायक शिंदे गुट में शामिल होते ही मंत्री बन गए।
लेकिन जैसे ही यह बात सामने आई विपक्ष एकता के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार की पार्टी के नेता अजीत पवार ने शिंदे गुट से हाथ मिला लिया है बवाल मच गया। हर तरफ से विपक्ष एकता सवालों के कटघरे में उतर आई। हालाकि शरद पवार ने यह साफ कह दिया जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह पहले भी हो चुका है जो लोग गए उनको चुनाव में हार मिली। हम जनता से जुड़ कर अपनी पार्टी खड़ी कर लेंगे।
अजीत पवार के शिंदे गुट से जुड़ने की वजह-
अजीत पवार ने शिंदे गुट से हाथ मिलाया और वह महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन गए। वहीं अब संजय राउत ने उनके शिंदे गुट से जुड़ने की वजह जांच एजेंसियों का खौफ बताया है। संजय राउत ने कहा- कोआपरेटिव बैंक घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही थी, लेकिन महाविकास आघाड़ी (MVA) सरकार में उसने अजित के विरुद्ध जांच बंद कर दी थी। इससे ईडी की जांच भी बंद हो गई थी।
सरकार बदलने पर जांच एजेंसी का रुख बदल गया और उसने जांच शुरू कर दी। ईडी ने भी अप्रैल में अपना आरोपपत्र दाखिल कर दिया। सिंचाई घोटाले में एसीबी ने उनके विरुद्ध जांच की थी और बांबे हाई कोर्ट में उन्हें क्लीनचिट देते हुए रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने अभी रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है।
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