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राजनीति– कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Congress leader Rahul Gandhi) ने भारत जोड़ो यात्रा (Bharat jodo Yatra)के माध्यम से जनता से सीधा संपर्क साधा और विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम छेड़ी। कांग्रेस का प्रयास था कि भारत जोड़ो यात्रा(Bharat jodo Yatra) के माध्यम से वह विपक्ष को एक सूत्र में बंध लें और केंद्र(Central government) से एनडीए की सरकार (NDA government)को उखाड़ फेंके। 

लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव(loksabha election) नजदीक आ रहा है तो विपक्ष एकता चितर बितर नजर आ रही है। क्षेत्रीय स्तर की सभी पार्टियों ने कांग्रेस से दूर रहना उचित समझा है। अभी तक कोई दल कांग्रेस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार नहीं हुआ है। अब ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि लोकसभा चुनाव(Loksabha election) में राहुल गांधी(Congress leader Rahul Gandhi) के नेतृत्व में कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करेगी।

कहां गई विपक्ष एकता-

राहुल गांधी(Rahul Gandhi) विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में लगे हैं। लेकिन कई बड़े नेता ऐसे हैं जो राहुल गांधी(Rahul Gandhi) की कांग्रेस से हाथ मिलाने से कतरा रहे हैं। विपक्ष ऐसा राहुल और कांग्रेस(Congress) की जमीनी स्थिति देखकर कर रहा है। राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को यह अंदाज है कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर अपनी पहचान खोते जा रही है। 
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat jodo Yatra)से भले ही राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने लोगों से प्रत्यक्ष संवाद किया है और उनकी समस्याओं को सुना है। राहुल के संघर्ष से कांग्रेस(Congress) के प्रति जनता सहानुभूति दिखा सकती है लेकिन इस यात्रा से उनका वोट बैंक मजबूत होगा यह कहना अनुचित है। कांग्रेस(Congress) की बिगड़ी स्थिति के चलते विपक्ष कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है और एक अलग गठबंधन तैयार करने की फिराक में है।
सूत्रों का दावा यह भी है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(West Bengal chief minister Mamta Banerjee) विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदार होंगी। यह इंदिरा गांधी के बाद पहली दफा होगा जब कोई महिला केंद्र के लिए ताल ठोकेगी। ममता ने कांग्रेस और बीजेपी की विचारधारा से अलग दलों को एकजुट होने का निमंत्रण दिया है। ममता के रुख से यह स्पष्ट है कि वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेंगी और कांग्रेस विरोधी दलों को एकजुट करने का प्रयास करेंगी।

कितने दल हो सकते हैं कांग्रेस से अलग-

सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एकजुट होकर तीसरा गठबंधन तैयार करने की कवायद में जुटे हुए हैं। यह गठबंधन कांग्रेस के बिना तैयार होगा। बताया जा रहा है इसी सिलसिले में आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने वाली हैं।
ममता बनर्जी का मानना है कि अभी नए नेताओं को राजनीति की समझ कम है। ममता अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को राजनीति का नया खिलाड़ी मानती हैं। ममता का मानना है कि यह अभी राजनीति की गेंद को घूमना नहीं जानते हैं। लेकिन इसके बाद भी ममता कांग्रेस से अलग होकर नया गठबंधन बनाने की कोशिश में लगी हैं। 
हालाकि ममता बनर्जी की यह नीति कितना सफल होगी इसका खुलासा जल्द ही होगा। लेकिन अगर ममता बनर्जी कांग्रेस के बगैर मैदान में उतरती हैं तो यह विपक्ष एकता के धागे में बड़ी गांठ होगी। क्योंकि कांग्रेस के बिना विपक्ष को देखना असंभव है। राजनीतिक विशेषज्ञ के मुताबिक कांग्रेस के बिना विपक्ष की कल्पना करना असंभव है।