नई दिल्ली । 16 और 17 जुलाई को आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरु णाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा।
यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। हालांकि, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में भी लोग चंद्र ग्रहण देख पाएंगे। भारत में आज आषाढ़ पूर्णिमा का दिन है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस लिहाज से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं इससे जुड़ीं कुछ और खास
इस बार के चंद्र ग्रहण की दो खास बातें हैं। पहली यह कि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। गुरु पूर्णिमा के दिन हिंदू और बौद्ध मतावलंबी अपने आध्यात्मिक गुरुओं एवं शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं।दूसरी, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा द्वारा अपोलो 11 मिशन की लॉन्चिंग की 50वीं सालगिरह है।
इसी मिशन में चांद पर इंसान का पहला कदम रखे जाने में सफलता हासिल हुई। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।हम जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान धरती और चांद एक सीध में आ जाते हैं। इस वजह से पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चांद का रौशन हिस्सा ढक जाता है।
पृथ्वी की छाया के दो हिस्से होते हैं- केंद्रीय हिस्सा जिसे अंब्र (umbra) कहते हैं और दूसरा, बाह्य हिस्सा जिसे पेनंब्र (penumbra) कहा जाता है। जब पूरा चांद पृथ्वी की केंद्रीय छाया से गुजरता है या जब सूर्य, पृथ्वी और चांद, तीनों एक सीध में आ जाते हैं तो पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन, जब चांद का कुछ हिस्सा केंद्रीय अथवा बाह्य छाया से होकर गुजरता है हमें आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलता है। जब चांद पर पृथ्वी की केंद्रीय छाया तनिक भी नहीं पड़ती है और वह बाह्य छाया से ही ढका रहता है तो उसे बाह्य चंद्र ग्रहण कहते हैं।याद रहे कि आंशिक चंद्र ग्रहण हमेशा पृथ्वी की बाह्य छाया के अधीन आने से ही शुरू होता है।
इस बार चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 57 मिनट 56 सेकंड की होगी। भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा और 17 जुलाई की सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगा। चंद्रमा 16-17 जुलाई की मध्य रात्रि को 12:13 बजे को पृथ्वी की बाहरी छाया और 1:31 बजे केंद्रीय छाया के अधीन आ जाएगा। रात के तीन बजे चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर दिखेगा जब चांद के सबसे बड़े हिस्से पर पृथ्वी की छाया पड़ेगी और वह काला दिखने लगेगा।देश के पश्चिमी हिस्से और केंद्रीय इलाकों में चंद्र ग्रहण की पूरी घटना देखी जा सकेगी। देश के पूर्वी इलाके के लोगों को अहले सुबह करीब-करीब उस समय दिखेगा जब चंद्र अस्त होने लगता है।
चंद्रमा बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में ग्रहण की अवधि में ही अस्त हो जाएगा। इस बार का चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत यूरोप के कई हिस्सों में दिखाई देगा। एशिया में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, सिंगापुर, फिलिपींस, मलयेशिया और इंडोनेशिया के साथ ईरान, इराक, तुर्की और सऊदी अरब में भी यह नजारा दिखाई देगा।
नंगी आंखों से चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है। यानी, चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी खास प्रकार के चश्मे की दरकार नहीं है। आप अपने घर से चंद्र ग्रहण देख सकते हैं, बशर्ते रात में आसमान साफ रहे। वैज्ञानिक चंद्र ग्रहण को लेकर तरह-तरह के अंधविश्वासों को खारिज करते रहे हैं।यह 2019 का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। इस वर्ष अब न आंशिक और न ही पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। याद रहे कि इस वर्ष जनवरी महीने में पूर्ण चंद्र ग्रहण लगा था।
अब अगले वर्ष ही चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। 2020 में कुल चार चंद्र ग्रहण लगेंगे। 10 जनवरी 2020 को पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। वह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। उसके अलावा, 26 मई 2021 को भी पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा जबकि 19 नवंबर 2021 को आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा।वैज्ञानिकों को इस आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। बड़ी बात यह है कि इस दौरान चांद पृथ्वी के नजदीक और आकार में अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा।गुरु पूर्णिमा पर लगने वाला यह चंद्र ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा।
शास्त्रों के नियम के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले आरंभ हो जाता है। भारतीय समय के अनुसार 16 जुलाई की शाम 4 बजकर 31 मिनट से ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। सूतक से पहले ही गुरु पूर्णिमा की पूजा के बाद सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। चंद्र ग्रहण का राशि के अनुसार क्या प्रभाव होगा, यहां पढ़ें।