काम बार-बार बिगड़ जाता है, भरसक प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो बस एक ये उपाय करें, चमत्कार खुद नजर आ जाएगा। रामायण का वह सीन तो याद होगा जब माता सीता की खोज में निकली वानर सेना सामने विशाल समुद्र आ जाने से निराश हो जाती है। तभी वानर सेना में शामिल जामवंत हनुमान को उसकी शक्तियों की याद दिलाते हैं और हनुमान उड़कर समुद्र को लांघ जाते हैं। समाज में आज भी ऐसे बहुत से युवा हैं जो कुछ भी करने का मादा रखते हैं लेकिन किन्हीं आंतरिक कारणों से अटक जाते हैं।
पर यदि समय रहते इन्हें उपचार मिल जाए तो ये उस समस्या को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते हैं। ऐसा न होने पर वह व्यक्ति मानसिक रोगी बन जाता है और उसके भीतर आत्महत्या करने की प्रवृति बढ़ने लगती है। इस अवस्था को मनोचिकित्सक ‘हनुमान सिंड्रोम’ कहते हैं, जिसका उपचार केवल पीड़ित व्यक्ति को उनकी शक्तियां याद दिलाना है।
इसका दूसरा उदाहरण द्वापर युग में महाभारत के युद्ध को भी देख सकते हैं। कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन जब हनुमान सिंड्रोम से ग्रस्त हो कर हताश होते हैं तो कृष्ण जामवंत के रूप में उन्हें उनकी शक्तियां बताते हैं और वही अर्जुन पूरे युद्ध के नायक बनते हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि यह समस्या सामान्य है, जो समय के साथ-साथ चलती है। अकसर यह समस्या आने पर संबंधित व्यक्ति लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता के बावजूद किन्हीं कारणों से अटक जाता है।
हेल्थ यूनिवर्सिटी रोहतक के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के डा. प्रदीप पांडेय ने हनुमान सिंड्रोम के कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि आज हर व्यक्ति तनावपूर्ण स्थिति में जी रहा है। कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो कि काबिल होने के बावजूद किन्हीं कारणों से लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते या खुद को वहां तक पहुंचने में असहज महसूस करते हैं। ऐसी समस्या अकसर परीक्षा में अंकों को लेकर, प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रदर्शन, मनचाहे कॉलेज में सीटों और कोर्स को लेकर और नौकरियों के लिए इंटरव्यू को लेकर ज्यादा सामने आती है।
डॉ. प्रदीप ने बताया कि हनुमान की तरह ही जब व्यक्ति क्षमता रखने के बाद भी किसी काम को करने में अटक जाए। मनोचिकित्सक इसे हनुमान सिंड्रोम कहते हैं। इसका उपचार पीड़ित व्यक्ति को केवल उसकी क्षमता का भान करवाने से ही होता है। यह समस्या सामान्य है, लेकिन उपचार न होने पर आत्महत्या की प्रवृत्ति पनपने लगती है जो घातक साबित हो सकती है। परिजन, स्कूल टीचर उपचार में महत्वपूर्ण कड़ी हैं। हताश होने पर संबंधित व्यक्ति को उसकी पिछली उपलब्धियां याद दिलाएं। इससे उसका हौसला बढ़ेगा और उत्साहित होगा।
एक्सपर्ट बताते हैं कि यदि आपका बच्चा किसी वजह से हताश हो गया है तो उसे उसकी पिछली उपलब्धियां याद दिलाये। इससे उसमें हौसला आयेगा और वह वापस अपनी मंजिल पर बढ़ने के लिये उत्साहित होगा। यह कार्य घर में परिजन, स्कूल में गुरुजन व कार्यालय में उसके सीनियर अधिकारी कर सकते हैं।