वाराणसी। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में एक ऐसा मंदिर बनने जा रहा है, जिसमें श्रीराम व जानकी सहित कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान की जाएंगी। शुरुआत नवरात्र के पहले दिन श्रीगणेश एवं दत्तात्रेय के मंदिर निर्माण के लिए शिला और भूमि पूजन से हो चुकी है।
महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही स्थित सुभाष भवन के पास यह मंदिर बनने जा रहा है। इसमें भगवान श्रीराम के भाइयों, इनकी माताओं, पिता, हनुमान, जामवंत, नल-नील, जटायु, विभीषण आदि की मूर्ति रहेंगी। इस तरह रामचरित मानस से जुड़े प्रमुख पात्रों के साथ ही सहायक पात्रों का भी एक साथ दर्शन हो जाएगा।
इसी कड़ी में गत दिनों विशाल भारत संस्थान एवं श्री इंद्रेश आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में नौ दिवसीय हनुमान चालीसा हवनात्मक महायज्ञ भी शुरू हुआ। जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी परिषद के सदस्य इंद्रेश कुमार ने अयोध्यापति प्रभु श्रीराम के प्रति आस्था को जन-जन व कण-कण तक पहुंचाने के लिए श्रीरामपंथ का शुभारंभ किया। इसके लिए बीएचयू के प्रोफेसर डा. राजीव कुमार श्रीवास्तव ने वैदिक ब्राह्मणों के मंत्रोचार के बीच विधि-विधान के साथ संत दीक्षा एवं गुरु मंत्र प्राप्त किया है। समाजिक कार्यकर्ता व संस्थान के संस्थापक डा. राजीव कहते हैं ‘रामराज की स्थापना में जो देवी-देवता सहायक रहे उनका एक ही मंदिर में दर्शन होगा। मंदिर के बनने में करीब एक करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। बताया कि प्रत्येक रविवार को श्रीराम की सभी दैवपुत्रों के साथ विशेष आरती की जाएगी।
यह देवी-देवता रहेंगे विराजमान
प्रभु श्रीराम एवं माता जानकी के साथ भरत-माता मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला, शत्रुघ्न-माता श्रुतकीर्ति, महाराज दशरथ- माता कौशल्या, माता कैकेयी, माता सुमित्रा, श्री इंद्र्रेशेश्वर महादेव, माता पार्वती, गणेश जी, नंदी, कार्तिकेय, केशरी-माता अंजनी, महर्षि वाल्मीकि, माता शबरी, पक्षीराज जटायु, संपाती, विभीषण, सुषेन वैद्य, माता त्रिजटा, राजा जनक, माता सुनयना, सुग्रीव, जामवंत, अंगद, नल, नील, सुमंत्र, निषाद राज, माता अहिल्या, दत्तात्रेय जी, गरुण, गिलहरी, मंदोदरी की मूर्ति रहेगी।