नई दिल्ली। महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने भारत के उत्थान में खास भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उन्होंने बेहद कम उम्र में ही वेद और दर्शन शास्त्र का ज्ञान हासिल कर लिया था। विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
पिता की 1884 में पिता की मौत के बाद विवेकानंद पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। 25 साल की उम्र में गुरु से प्रेरित होकर उन्होंने मोह-माया त्याग दी और संन्यासी बन गए। अमेरिका में 11 सितंबर 1893 को हुई धर्म संसद में जब विवेकानंद ने भाषण शुरू किया तो दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में तालियां बजती रहीं।
विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की। वर्ष 1985 से 12 जनवरी को भारत में हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। विवेकानंद ने 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए।
ये हैं स्वामी विवेकानंद के 10 अनमोल विचार :-
1. जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
2. जितना ज्यादा संघर्ष होगा, उतनी ही शानदार जीत होगी।
3. पढऩे के लिए एकाग्रता और एकाग्रता के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान से इंद्रियों पर संयम रख हासिल कर सकते हैं एकाग्रता।
4. मैं तीनों गुण पवित्रता, धैर्य और उद्यम एक साथ चाहता हूं।
5. उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
6. ज्ञान खुद में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
7. एक समय एक काम करो और ऐसा करते समय पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
8. जब तक आप खुद पर भरोसा नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
9. ध्यान तथा ज्ञान का प्रतीक हैं भगवान शिव, सीखें आगे बढऩे के सबक।
10. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निंदा, लक्ष्य कृपालु हो या न हो, तुम्हारा निधन आज हो या युग में, न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।