आध्यात्मिक- जीवन में अगर हम उचित- अनुचित का ज्ञान जान लेते हैं हम समझ जाते हैं की जीवन के दो ही पहलू हैं सुख और दुःख तो हम अपने जीवन में सकारात्मक हो जाते हैं और हमारे भीतर प्रत्येक परिस्थिति से उभरने की शक्ति विकसित होती है. वहीं आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई अहम तत्वों पर बात की उनका मानना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में सुखी रहना चाहता है तो उसे जीवन के सत्य को सदैव स्वीकार करना चाहिए और अपने भीतर निरंतर सीखने की प्रवृति विकसित करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक़ यदि कोई व्यक्ति शास्त्रों का अभ्यास करता है, आध्यात्म की विरासत को सम्भाल कर रखता है, अपने विचारों को तार्किक रखता है वह सत्य वैभव और सुख के सिद्धांत को समझ जाता है. आचार्य चाणक्य का कहना है कि धर्म का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति अपने लिए उचित और अनुचित का बोध करने में निपुण होते हैं इन लोगों को भला और बुरा समझ आता है ऐसे लोग सर्वोत्तम को समझ चुके होते हैं और इनके जीवन का लक्ष्य सकारात्मक मार्ग पर आगे बढ़ना होता है,
आचार्य चाणक्य का यह भी मानना था जिस व्यक्ति को धर्म और शास्त्रों को उचित ज्ञान हो जाता है उसके जीवन में सुख बना रहता है यह लोग परिस्थितियों से घबराते नही हैं और जीवन के सत्य को स्वीकार करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं. उनके मानना था कि यदि कोई अपने जीवन में सफल बनना चाहता है तो उस व्यक्ति को अपने जीवन को आध्यात्म से जोडकर रखना चाहिए और निरंतर शास्त्रों से सीखते रहना चाहिए.