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आध्यात्मिक– हमारा चलना, उठाना बैठना और हमारी संगति हमारे जीवन की दिशा का निर्धारण करती है। चाणक्य नीति के मुताबिक हम जैसे लोगो के साथ रहते हैं जैसा व्यवहार करते हैं। हम अपने जीवन को उसी तरह का बना लेते है।
वही चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि अगर कोई व्यक्ति कुछ विशेष जगहों पर ठहरता है। तो उससे उसका भविष्य निर्धारित होता है। लोगो को ऐसे स्थान पर ठहरने से बचना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान विकास का जरिया है। इस संसार मे सफल वही हो सकता है जिसके पास ज्ञान है। व्यक्ति को कभी भी उस स्थान पर नही ठहरना चाहिए। जहां शिक्षा के।संसाधन कम हो और उसके आसपास के वातावरण में जो लोग रहते हो वह उसे कुछ सीखा न पाए। अगर आप ऐसे लोगो की संगति में रहते हैं जिनके पास ज्ञान नही है तो वह आपके ज्ञान और सीखने की प्रवर्त्ति को खत्म कर देते हैं और आप असफलता के नजदीक जाते हैं।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को अपने रिश्तेदारों के साथ रहने से बचना चाहिए। इनके साथ रहना आसान होता है। लेकिन यह आपके लिए हित नही चाहते। जब आपको इनकी आवश्यकता होगी तब यह आपका साथ छोड़ देंगे।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पैसा जीवन को नई दिशा और तुम्हे समाज मे पहचान दिलाता है। व्यक्ति को कभी भी अपना बसेरा ऐसे स्थान पर नही करना चाहिए। जिस स्थान पर रोजगार की कमी हो और आपको पैसे की किल्लत से जूझना पड़े।
वही आचार्य चाणक्य ने सबसे अमुख बात बताते हुए कहा, व्यक्ति को अपने आत्मसम्मान से कभी समझौता नही करना चाहिए। उसे उस स्थान पर कभी नही रुकना चाहिए जहां उसका सम्मान न हो। क्योंकि जहां सम्मान नही होता वहां रुकने से कभी कुछ हासिल नही होता है।