Aadyatmik:- जो लोग वास्तु शास्त्र में विश्वास करते हैं वह हमेशा अपने घर को वास्तु शास्त्र में बताए गए नियमो के अनुसार ही संचालित करते हैं। वही अगर घर में बना रसोई घर वास्तु शास्त्र के मुताबिक नहीं बना होता है तो यह घर के सुख में विघ्न डालता है और दुख रोग शोक और धन की बर्बादी का कारण बनता है। कहते हैं कि अगर रसोईघर वास्तुशास्त्र के अनुसार गलत बना हो तो यह घर की बरकत कम करता है और अन्न की कमी हो जाती। तो आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के मुताबिक किचन में क्या करना सही होता है और क्या करना गलत।
आग्नेय कोण में किचन का होना फलदायक;-
वास्तुशास्त्र के मुताबिक अगर किचन आग्नेय कोण में बना हुआ होता है तो यह लाभदायक सिद्द होता है क्योंकि इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। वही अगर घर का किचन आग्नेय कोण में नहीं बना होता है तो यह घर के लोगो का स्वास्थ्य प्रभावित करता है खास तौर पर इसका प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है और आय दिन उनका स्वास्थ्य खराब रहता है।
अन्नपूर्णा का चित्र आवश्यक:-
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के किचन में अन्नपूर्णा देवी का चित्र लगाना अति आवश्यक है जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उन्हें इससे नुकसान होता है और घर की बरकत कम हो जाती है। कोशिश करें की फल सब्जियों को जिस स्टैंड पर रखा जाता है अन्नपूर्णा देवी की तस्वीर उसके ठीक ऊपर लगाए।
गणेश की तस्वीर का महत्व:-
गणेश जी की तस्वीर किचन में लगाना उन लोगो के लिए आवश्यक होता है जिनका किचन आग्नेय कोण में नहीं बना होता है। इन लोगो को किचन में ईशान कोण पर गणेश भगवान की सिंदूरी तस्वीर लगानी चाहिए। यह तस्वीर दोष को दूर कर घर मे सुख समद्धि बनाए रखती है।
यज्ञ करते ऋषि:-
कुछ लोगो को सिंदूरी गणेश जी की तस्वीर नहीं मिलती तो वह हवन करते हुए ऋषियों की तस्वीर को अपने किचन में लगा सकते हैं। ऐसा वही लोग करें जिनका किचन आग्नेय कोण में नहीं बना हो।
रंग का रखे ध्यान:-
रसोई घर में आग्नेय का रंग नारंगी रंग से पुता होना चाहिए इसके अलावा दक्षिण पूर्वी कक्ष पीले
या नारंगी हो सकते हैं।
नमक का पोंछा:-
लोगो को घर मे बरकत बनाए रखने के लिए और सुख समृद्धि को जीवित रखने के लिए सप्ताह में एक बार समुद्री नमक का पोंछा अवश्य लगाना चाहिए। इससे घर के झगड़े कम होते हैं और इसमे लक्ष्मी का बास होता है।
रसोई के आसपास करें भोजन:-
वास्तु शास्त्र के मुताबिक भोजन वहाँ करना चाहिए जहां से रसोई घर पास हो या रसोई घर मे ही बैठकर भोजन करना चाहिए। इससे राहूं केतू का प्रभाव कम होता है। वही ख़ुले मैदान में भोजन करने से राहू केतू का प्रभाव सक्रिय होता है।