डेस्क। ग्रीष्मकाल के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट रविवार को ब्रह्ममुहुर्त में 6:15 बजे खोल दिए गए।
श्रद्धालु अगले छह महीने मंदिर में भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर सकेंगे। इस पावन मौका का साक्षी बनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुचे।
जानिए मंदिर से जुड़ी कथा
बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इस क्षेत्र में कठोर तप किया था। उस समय देवी लक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णु जी को छाया प्रदान की दी और मौसमी समस्याओं से विष्णु जी की रक्षा भी की थी।
लक्ष्मी जी के इस सर्मपण भाव से प्रसन्न होकर विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम दिया और यह स्थान इसी नाम से प्रसिद्ध होने हुआ।
बद्रीनाथ धाम में विष्णु जी की करीब एक मीटर ऊंची प्रतिमा है। बता दें कि विष्णु जी की ये मूर्ति ध्यान की मुद्रा में है। इसके साथ ही यहां कुबेर देव, लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।
मंदिर में विष्णु जी के पांच स्वरूपों की पूजा होती है। विष्णु जी के इन पांच स्वरूपों को पंचबद्री के नाम से जाना जाता हैं। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार स्वरूपों भी इस मंदिर में स्थापित हैं।