आध्यात्मिक- जीवन में उतार चढ़ाव आना आम बात है। अगर कोई व्यक्ति सफलता को स्पर्श करता है तो उसे कई प्रकार की कठिनाइयों से भी जूझना पड़ता है। लेकिन कई लोगों को हमने अपने आस-पास देखा होगा जो सफलता से तो खुश हो जाते हैं लेकिन उनको अपनी हार रास नहीं आती है। आचार्य चाणक्य ने कौटिल्य शास्त्र में ऐसे लोगों के बारे में कुछ ऐसे राज खोले हैं जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि जो व्यक्ति स्वयं की जीत से प्रसन्न होता है लेकिन उसे अपनी हार रास नहीं आती वह स्वार्थी स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग स्वयं के अलावा किसी को भी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं। यदि आप ऐसे लोगों के साथ रहते हैं और उनको अपना मित्र बताते हैं तो यह आपको छलने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं।
आचार्य चाणक्य का कहना है ऐसे लोग लोभी और स्वार्थी होते हैं, इन लोगों को सिर्फ अपना हित दिखाई देता है। अगर इनके साथ रहने वाला व्यक्ति तरक्की करता है तो यह लोग उस व्यक्ति से ईर्ष्या करते हैं और उसके साथ रहते हुए भी उसकी हार के लिए षड्यंत्र रचते हैं। यह लोग अपने साथी को सदैव गलत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं और स्वयं की तरक्की निर्धारति करने के लिए किसी के साथ अनुचित करने को तैयार रहते हैं।
यदि कोई व्यक्ति ऐसे स्वभाव के लोगों के साथ रहता है तो उसे अपने जीवन में सदैव समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उस व्यक्ति की तरक्की रुक जाती है। लोगों को ऐसे लोगों से सचेत रहने की आवश्यकता है।