आध्यात्मिक – विवाहित महिलाओ का सबसे बड़ा त्योहार करवा चौथ १३ तारिख को है। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जली व्रत रखती है और ईश्वर से अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती है। शाम को सभी विवाहित महिलाएं चाँद देखने के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके अपना व्रत तोड़ती है। लेकिन क्या आप जानते है करवा चौथ का व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती है। इसके आलावा अगर आपका विवाह तय हो गया है तो आप अपने पति का स्मरण करते हुए उसकी लम्बी आयु हेतु करवा चौथ का व्रत रख सकती हो। लेकिन कुंवारी लड़कियों और जिन लड़कियों का विवाह तय हो गया है उनके लिए इस व्रत के नियम काफी अलग है।
जाने कुंवारी लड़कियां क्यों रख सकती है करवा चौथ का व्रत –
करवा चौथ का व्रत पति की लम्बी आयु से जुड़ा हुआ है. विवाहित महिलाएं अपने दाम्पत्य जीवन को खुशहाल रखने और पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। वही कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का व्रत बेहतर दाम्पत्य जीवन और अच्छा वर प्राप्त करने के लिए रखती है. अगर कुंवारी लड़की विधि पूर्वक करवा चौथ का व्रत रखती है और ईश्वर से अच्छे वर की कामना करती है तो करवा माता की उसपर कृपा बरसती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। वही जिन लड़कियों का विवाह तय हो गया होता है वह जब करवा चौथ का व्रत रखती है तो उनका वैवाहिक जीवन सुखी होने का आशीर्वाद उन्हें करवा माता से प्राप्त होता है।
जाने कुंवारी लड़कियों के व्रत की विधि –
धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक़ अगर कोई कुंवारी लड़की करवा चौथ का व्रत रखती है तो उसे निर्जला व्रत की जगह निराहार व्रत रखना चाहिए। आपको व्रत में फल का सेवन करना चाहिए। वही करवा माता की पूजा करने की जगह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। अगर कुंवारी लड़कियां माता पार्वती और भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करती है तो उन्हें करवा माता के आशीर्वाद के साथ माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनका जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
तारो के दर्शन से खोले व्रत –
जब कुंवारी लड़की अच्छे दाम्पत्य जीवन की कामना लिए करवा चौथ का व्रत रखती है तो उसे माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलने के लिए तारो को देखना चाहिए। जल कभी भी करवा में नहीं लेना चाहिए क्योंकि करवा विवाहित महिलाओ के लिए बना है वही कुंवारी लड़कियों को कलश में जल लेकर तारो को अर्घ देकर अपना व्रत खोलना चाहिए।