Chanakya Niti: चाणक्य कहते हैं चाहे कितना ही बुरा वक्त क्यों न आ जाए किसी भी हालात में मनुष्यों को कैसा स्वभाव नहीं अपनाना चाहिए वरना आपके अपने भी इसका फायदा उठाने लगते हैं।
Chanakya Niti: चाणक्य के बताए रास्तों पर चलने से लोगों के कठिन से कठिन काम भी आसानी से निपटने लग जाते हैं। इसी कड़ी में चाणक्य यह भी कहते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार से ही उसके व्यक्त्तिव की पहचान भी होती है। मनुष्य चाहे जैसा व्यवहार करता हो वैसे परिणाम भी भोगता है। इसी के साथ चाणक्य ने बताया है कि जीवन में किन लोगों को हर मोड़ पर अत्याचार झेलने पड़ते हैं। चाणक्य यह भी कहते हैं चाहे कितना ही बुरा वक्त क्यों न आ जाए ऐसे हालातों में भी मनुष्यों को किस तरह का स्वभाव नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि इससे आपके अपने भी आपका फायदा उठाने लग जाते हैं।
Chanakya Niti: चाणक्य के बताए रास्तों पर चलने से लोगों के कठिन से कठिन काम भी आसानी से निपटने लग जाते हैं। इसी कड़ी में चाणक्य यह भी कहते हैं कि व्यक्ति के व्यवहार से ही उसके व्यक्त्तिव की पहचान भी होती है। मनुष्य चाहे जैसा व्यवहार करता हो वैसे परिणाम भी भोगता है। इसी के साथ चाणक्य ने बताया है कि जीवन में किन लोगों को हर मोड़ पर अत्याचार झेलने पड़ते हैं। चाणक्य यह भी कहते हैं चाहे कितना ही बुरा वक्त क्यों न आ जाए ऐसे हालातों में भी मनुष्यों को किस तरह का स्वभाव नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि इससे आपके अपने भी आपका फायदा उठाने लग जाते हैं।
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् ।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ॥
चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि जो स्वभाव से बहुत ज्यादा सीधा-साधा, सरल और सहज होता है उन्हें समाज में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। वहीं चाणक्य ने मनुष्य के अधिक सीधेपन की तुलना जंगल के उस वृक्ष से की है जिसे काटना सबसे आसान होता है। यानी कि जो पेड़ सीधे होते हैं उन्हें सबसे पहले काट दिया जाता है क्योंकि उसमें मेहनत बहुत ही कम लगती है।
वहीं जो पेड़ टेढ़े मेढ़े होते हैं वह अंत तक टिके हुए रहते हैं। इससे वो ये कहना चाहते हैं कि जरूरत से ज्यादा सीधापन भी हानिकारक होता है। परिस्थिति के अनुरूप मनुष्य को चालाक और चतुराई दिखाना भी अति आवश्यक है नहीं तो पराए तो क्या अपने भी इसका फायदा उठाने लग जाते हैं।
वहीं हद से ज्यादा भोले व्यक्ति को कमजोर भी माना जाता है।
बता दें चाणक्य ने ज्यादा सीधे स्वभाव को मूर्खता की श्रेणी माना है और वह कहते हैं कि बुरे वक्त में अगर मनुष्य अपना ये स्वभाव नहीं त्यागता है तो उसे हर समय कष्ट से भी गुजरना पड़ता है। यही वजह है जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और इस स्वार्थी संसार में खुद को सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति को थोड़ा चतुर और चालक भी बनना चाहिए।
वहीं जो पेड़ टेढ़े मेढ़े होते हैं वह अंत तक टिके हुए रहते हैं। इससे वो ये कहना चाहते हैं कि जरूरत से ज्यादा सीधापन भी हानिकारक होता है। परिस्थिति के अनुरूप मनुष्य को चालाक और चतुराई दिखाना भी अति आवश्यक है नहीं तो पराए तो क्या अपने भी इसका फायदा उठाने लग जाते हैं।
वहीं हद से ज्यादा भोले व्यक्ति को कमजोर भी माना जाता है।
बता दें चाणक्य ने ज्यादा सीधे स्वभाव को मूर्खता की श्रेणी माना है और वह कहते हैं कि बुरे वक्त में अगर मनुष्य अपना ये स्वभाव नहीं त्यागता है तो उसे हर समय कष्ट से भी गुजरना पड़ता है। यही वजह है जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और इस स्वार्थी संसार में खुद को सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति को थोड़ा चतुर और चालक भी बनना चाहिए।