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डेस्क। भारत में वैष्णव भक्तों की संख्या बहुत अधिक है। अपने गृहस्थ जीवन से कुछ समय निकाल कर अगर आप भी भगवान की आराधना करते हैं तो आज की जानकारी आप के लिए हैं। ईश्वर में श्रद्धा रखने वाला जब भी कोई व्यक्ति घर बनाता है तो उसमें मंदिर के लिए अलग से जगह छोड़ी जाती है। गृहस्थ जीवन में कोई भी घर मंदिर के बिना अधूरा माना जाता है। रोज सुबह दंपतियों को ईश्वर की आराधना की विशेष सलाह दी जाती है।

पर कई बार जानकारी न होने के कारण हम कई ऐसी गलती कर बैठते हैं कि हमको इसका अच्छा फल मिलने के बजाय खामियाजा भुगतना पड़ता है। शास्त्रों में इन गलतियों का वर्णन हमें देखने को मिलता है। इसी कड़ी में आज हम आपको तीन चीज़ों के बारे में बताएंगे कि कौन सी चीज़े आपको नहीं करनी चाहिए।

1. सनातन धर्म के अनुसार, घर के मंदिर में कभी भी खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए न ही उसको पूजा जाना चाहिए। इसको ईश्वर का अपमान माना जाता है। मंदिर में खंडित मूर्ति रखना घर में अशुभता को बढ़ता है। घर के मंदिर में अगर खंडित मूर्ति हो तो उसे तुरंत नदी, तालाब या नहर में विसर्जित कर देने की ही सलाह दी जाती है।

2. मंदिर में कभी भी भगवान के रौद्र रूप की प्रतिमाएं नहीं स्थापित करनी चाहिए। सनातन धर्म के अनुसार, रौद्र रूप वाली मूर्तियां रखने का अर्थ होता है कि देवी-देवता स्वयं उस घर पर अपना क्रोध व्यक्त कर रहे हैं। इसी कारण से देवी-देवताओं की हमेशा शांत, प्रसन्न मुद्रा और आशीर्वाद देने वाली प्रतिमा ही घर में रखनी चाहिए।

3. घर के मंदिर में एक से अधिक देवी-देवताओं की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मान्यता है कि मंदिर में एक से अधिक तस्वीरों या मूर्तियों के रखने से घर का वातावरण खराब होने लग जाता है। इसी कारण से घर की सुख-समृद्धि के लिए केवल एक ही प्रतिमा रखने की सलाह दी जाती है।