गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। पुराणों के अनुसार इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। इस बार गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को है। इस दौरान भगवान गणेश की आराधना कर श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। बता दें 13 सितंबर से शुरू होकर 23 सितंबर तक गणेश चतुर्थी उत्सव चलेगा। गणेश जी अमंगल और विघ्नहर्ता कहा जाता हैं।
कहा जाता है कि जिस पर गणेश जी की कृपा हो जाए उसके जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में भी कुछ ऐसे आसान उपाय बताए गए हैं जिनकी मदद से आप गणेश जी को जल्दी खुश कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ खास उपाय।
गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका है कि सुबह उठते ही सबसे पहले स्नान करके पूजा करते समय गणेश जी को गिनकर पांच दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें। दुर्वा गणेश जी के मस्तक पर रखनी चाहिए।ध्यान रखें कि कभी भी गणेश जी के चरणों में दुर्वा नहीं रखनी चाहिए।
दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’
शास्त्रों के अनुसार शमी ही एक मात्रा पौधा है जिसकी पूजा से गणेश जी और शनि दोनों प्रसन्न होते हैं। ऐसे माना जाता है कि भगवान श्री रमा ने भी रावण पर विजय पाने के लिए शमी की पूजा की थी।
शमी गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें तो घर में धन एवं सुख की वृद्धि होती है।
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पवित्र चावल अर्पित करें। पवित्र चावल उसे कहा जाता है जो टूटा हुआ नहीं हो। उबले हुए धन से तैयार चावल का पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
सूखा चावल गणेश जी को नहीं चढ़ाएं। चावल को गीला करें फिर, ‘इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र बोलते हुए तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।
सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है। गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
इससे आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं। गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय मंत्र बोलें, सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ओम गं गणपतये नमःश्
गणेश जी का एक दांत परशुराम जी से युद्ध में टूट गया था। इससे अन्य चीजों को खाने में गणेश जी को तकलीफ होती है, क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है।मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है। इसलिए गणेश जी को मोदक बहुत ही प्रिय है।