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डेस्क। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन मिलता है। महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन दुविधा में थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इन उपदेशों के माध्यम से ही जीवन जीने का रास्ता दिखाया था। बता दें कि गीता ग्रंथ का हर एक श्लोक जीवन का मार्गदर्शन करता है। वहीं गीता के ये उपदेश मनुष्य को जीवन जीने की सही तरीका भी दिखाते हैं।

आपको बता दें कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोकों में जीवन की सभी दुविधाओं और समस्याओं का हल मिलता है। वहीं श्रीमद्भागवत गीता के ये उपदेश अपना कर कोई भी सफलता आराम से प्राप्त कर सकता है। 

सफलता दिलाते हैं गीता के ये पांच उपेदश

1.योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।

सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।

गीता के इस श्लोक में श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन से अंहकार निकाले बिना मार्ग में सफलता कभी नहीं मिल सकती। वहीं इसकी निवृत्ति का उपाय है मन का समत्व भाव, समत्व योग से ही निष्काम कर्म किये जा सकते हैं। साथ ही हर व्यक्ति को योगयुक्त होकर कर्म करना चाहिए।

2.नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।

न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।

इस श्लोक का में बताया गया है, जो व्यक्ति योग से रहित होता है उसमें निश्चय करने की क्षमता नहीं होती अथवा उसके मन में कोई भावना नहीं होती और भावना रहित व्यक्ति को कभी भी शांति नहीं मिलती है। ऐसा अशांत व्यक्ति कभी भी जीवन में सुखी नहीं रह पाता।

3.विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।

निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य सभी इच्छाओं, कामनाओं और ममता को त्यागकर और अहंकार से रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है उसे अपने कार्यों में अवश्य ही सफलता और शांति की प्राप्त होती है। 

4.ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।

मम वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।

गीता के इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन! जो मनुष्य जिस प्रकार मेरा स्मरण करता है मैं उसी के अनुरूप उसे फल भी दोता हूं,  क्योंकि सभी लोग अलग अलग प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।

5.कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।

गीता के इस श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन कर्म करना तुम्हारा अधिकार है और फल की चिंता मत करो कभी भी कर्म से पीछे हटने के विषय में ना सोचो और ना ही इसके परिणाम के बारे में कभी भी चिंता करो।