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Happy krishna janmashtami:- प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी कृष्ण जन्मोत्सव प्रेम एवं भक्ति से सराबोर रहेगा। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 को धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनायी जाएगी। श्री कृष्ण को ईश्वर का अवतार माना जाता है। अर्थात इन्हे साक्षात भगवान विष्णु का कूप माना जाता है। कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की तिथि के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्री कृष्ण का जन्म बुद्धवार को अर्धरात्रि में हुआ था। इसी तरह कृष्ण जन्म से जुड़ी अनेको कथाएं है, जो भांति भाँति की रहस्य खोलीे हैं।

कृष्ण जन्म से जुड़ा रहस्य : नंदलाल के जन्म से जुड़ी अनेको कथाएं प्रचलित है। माना जाता है कि धरती पर कंस का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया था। जिसका संघार करने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण का अवतार लिया। विष्णु पुराण के पंचम अंश के प्रथम अध्याय में कृष्ण जन्म के विषय में विस्तार से उल्लेख किया गया है। 
श्री कृष्ण का जन्म आधी रात में ही क्यो हुआ : श्री कृष्ण का जन्म बुद्धवार को रोहिणी नक्षत्र की आधी रात में हुआ था। पौराणिक कथाओ के अनुसार माखनचोर श्री कृष्ण चंद्रवंशी है। चंद्रदेव को उनका पूर्वज माना जाता है एवं बुद्ध को चंद्रदेव का पुत्र माना जाता है। चंद्रमा रात्रि को ही उजागर होता है इसीलिए श्री कृष्ण जी ने अपने पूर्वजों की उपस्थिति में अर्धरात्रि को जन्म लिया।
माखनचोर को दूध मक्खन और दही क्यो है इतना पसंद : भगवान श्री कृष्ण की बचपन में अनेको लीलाएं थी। उन्हें माखनचोर कहा जाता है क्योकि वह अपने ग्वाल -बालाओ संग माखन चुराकर खाते थे। इससे संबंधित विष्णु पुराण में कथा है। जिसमें बताया गया है, कि जब कंस का अत्याचार धरती पर बढ़ गया था। तब धरती मां गाय का रूप लेकर भगवान विष्णु के पास गई थी। और इंसानो एवं जानवरों पर हो रहे अत्याचार को बताया। इसीलिए गोपाल को गायो से बेहद प्रेम है। और उनका दूध मक्खन और दही बहुत पसंद है। 
बाल से हुआ था श्री कृष्ण का जन्म : पौराणिक कथा में विद्यमान है कि श्री कृष्ण का जन्म बाल से हुआ है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने शक्तियों के द्वारा माता देवकी के गर्भ में दो बाल रोंपे थे। जिनमें से एक काला और एक सफेद था। काले बाल से श्री कृष्ण का जन्म और सफेद बाल से बलराम का जन्म हुआ था। 
क्यो है सबसे अलग कृष्ण का रुप : श्री कृष्ण को सांवरे भी कहा जाता है क्योकि उनका रंग न तो गोरा है और न ही काला। उनका संपूर्ण शरीर सांवले रंग में है। कृष्ण जी अपनी इच्छानुसार शरीर को ढाल सकते हैं। अर्थात उनका शरीर स्त्रियों की तरह कोमल हो जाता है और वज्र जैसा कठोर भी हो जाता है। माना जाता है कि वह योग एवं कलारिपट्टु विद्या में निपुड़ थे।