देशभर में 9-10 मार्च को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। होली के दिन होलिका की पूजा भी की जाती है। लेकिन शास्त्रों की मानें तो इस दिन होलिका नहीं बल्कि अग्नि देव की पूजा का विधान है क्योंकि अग्नि देव ने ही भक्त प्रह्लाद को विष्णु जी के कहने पर बचाया था। दरअसल, प्रह्लाद विष्णु भगवान का बड़ा भक्त था जबकि उसके पिता हिरण्यकश्यप विष्णु जी को अपना शत्रु के रूप में देखता। इसी वजह से वह अपने बेटे से भी नफरत करता।
जब वह प्रह्लाद को नहीं मार पाया तो उसने अपनी बहन होलिका को बुलावा भेजा। होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से कभी नहीं जलेगी। प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका उसे अग्नि कुंड में लेकर बैठ गई। हालांकि, भगवान की कृपा से सब उल्टा हुआ और प्रह्लाद की जगह होलिका उस अग्नि में जल गई जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। इसी वजह से हर साल होलिका के रूप में अग्नि देव की पूजा करने के बाद रात को होलिका दहन किया जाता है और होलिका की राख लाकर घर पर डाली जाती है।
जब होलिका का पूजन होता है तो उस समय कहा जाता है कि जिस तरह अग्नि देव ने प्रह्लाद की रक्षा की थी, उसी तरह वह हमारी और हमारे परिवार की भी रखा करें. इस दिन होलिका के साथ-साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की भी पूजा की जाती है। तो काफी लोग अपने ईष्ट देव की भी पूजा करते हैं । होली का दिन जप, तप और सभी तरह की सिद्धियों के लिए भी खास माना जाता है।